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धारा-116धारा-by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 116 के तहत ग्राम कचहरी में विधि व्यवसायी को उपस्थित होने, बहस करने एवं कार्य करने से रोक लगा दिया गया है। लेकिन धारा-117 के तहत पक्षकार स्वयं या कुटुम्ब, मित्र या अन्य व्यक्तियों के माध्‍यम से उपस्थित हो सकेंगे। न्यायालय कभी भी ग्राम कचहरी के अभिलेख को मांग कर देख सकता है। मामले का स्थानांतरण कर सकता है। किसी कार्यवाही को रद्द कर सकता है। पूर्णविचारण हेतु लौटा सकता है। रिपोर्ट मांग सकता है। यह प्रवाधान धारा-118 के तहत इसलिए किया गया कि ग्राम कचहरी के उपर न्यायालय का नियंत्रण बना रहे। ग्राम कचहरी को वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है। यदि किसी अभ्यिुक्त का उपस्थित कराने में गा्रम कचहरी असमर्थ हो जाय, तो वैसी परिस्थिति में जमानती वारंट न्यायिक दण्डाधिकारी के पास अग्रसारित किया जायेगा, जो वारंट को प्रतिहस्ताक्षर कर उस थाना प्रभारी के पास अग्रसारित कर देगा। इसके अलावे यदि सिविल मामले में ग्राम कचहरी डिक्री को निष्पादित करने में असमर्थ हो तो निष्पादन हेतु मुन्सिफ के पास भेज देगा। यह व्यवस्था घारा-119 के तहत की गई है।,

यदि एफआइआर दर्ज करने के ऐवज में पुलिस घूस मांगती है तो इसके विरुद्ध शिकायत कहाँ की जा सकती है?जिला पुलिस अधीक्षक के पास रिपोर्ट लिखित में दर्ज कराएं वंहा डायरी में एंट्री कर के अधीक्षक द्वारा सम्बंधित पुलिस स्टेशन को अगली कार्रवाई के लिए भेजा जाता है । यदि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो तो उस एरिया की अदालत मे पुलिस को कार्रवाई के निर्देश जारी करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है । अदालत पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दे सकती है, कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दे सकती है और जांच पड़ताल की मोनीटरिंग भी कर सकती है । by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब If the police asks for a bribe in lieu of filing an FIR, where can a complaint be made against it? By socialist Vanita Kasani Punjab, Submit the report in writing to the District Superintendent of Police and the entry in the diary is sent by the Superintendent to the concerned police station for further action. If there is still no action, then an application can be given to the police of that area to issue instructions to the police. The court can direct the police to take action, order to submit a report of the action and also monitor the investigation. 4

धारा-113धारा-113 के तहत किसी थाना के प्रभारी पदाधिकारी को भी ग्राम कचहरी के द्वारा विचारणीय कोई भी अपराध के सूचना दिये जाने को प्रावधान है।,by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,

धारा-114धारा-by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 114 के तहत जब कभी भी किसी न्यायालय को ऐसा प्रतीत हो कि मामला ग्राम कचहरी के द्वारा विचारणीय है तो मामला उसकी अधिकारिता को अंतरित कर देगा।,,

धारा-107 के तहत ग्राम कचहरी को एक हजार रूपये तक जुर्माना करने की शक्ति दी गई है।by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब गा्राम कचहरी निंकुश न हो जाये इसकें लिए यह प्रवाधान किया गया है कि ग्राम कचहरी को करावास की सजा देने का कोई अधिकार नहीं है। झुठा या तुच्छ या परेशान करने वाला अभियोग लगाने पर प्रतिकर अदा करने का निदेश दिया जा सकता है। ग्राम कचहरी अपनी सिविल अधिकारिता के तहत धारा-110 के अनुसार दस हजार रूपये से कम सम्पत्ति, लगान की वसूली, चल सम्पत्तिा को क्षति पहुँचाने, पशु अतिचार एवं बँटवारा के मामला से सम्बंघित होगा। बॅँटवार के सभी मामले सुने जायेगे। धारा-111 के तहत कुछ प्रतिबंध भी लगाये गये है ताकि न्यायालय की अक्षुण्णता एवं गरिमा भी बनी रहे। ग्राम कचहरी की न्यायपीठ के निर्णय के खिलाफ 30 दिनों के भीतर ग्राम कचहरी की पूर्ण पीठ के समक्ष अपील दायर किये जाने का प्रावधान धारा-112 के तहत है। पूर्ण पीठ की सुनवाई 7 पंचों के द्वारा की जाएगी। ग्राम कचहरी की पूर्ण पीठ के निर्णय के विरूद्ध अपील 30 दिनों के भीतर सिविल मामले में अवर न्यायधीश के समक्ष एवं आपराधिक मामले में जिला एवं सत्र न्यायधीश के समक्ष दायर की जायेगी।,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-353 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 353 उन लोगों पर लगाई जाती है जो सरकारी कर्मचारी पर हमला कर या उस पर ताकत का इस्तेमाल कर उसे उसकी ड्यूटी निभाने से रोकते हैं। ऐसे मामलों में दोषी को दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है,

भारतीय दंड संहिता, 1860 में धारा 438438. आग या विस्फोटक पदार्थ से प्रतिबद्ध अनुभाग 437 में वर्णित शरारत के लिए सजा -. करता है, या आग या किसी विस्फोटक पदार्थ, अंतिम पूर्ववर्ती खंड में वर्णित के रूप में ऐसी शरारत से, करने का प्रयास करता है जो कोई भी. 1 [आजीवन कारावास] से दंडित किया जाएगा. या दस साल तक का हो सकता है, और भी ठीक करने के लिए उत्तरदायी होगा जो एक अवधि के लिए या तो विवरण के कारावास के साथ by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-509 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 509 उन लोगों पर लगाई जाती है जो किसी औरत के शील या सम्मान को चोट पहुंचाने वाली बात कहते हैं या हरकत करते हैं। अगर कोई किसी औरत को सुना कर ऐसी बात कहता है या आवाज निकालता है,जिससे औरत के शील या सम्मान को चोट पहुंचे या जिससे उसकी प्राइवेसी में दखल पड़े तो उसके खिलाफ धारा 509 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इस धारा के तहत एक साल तक की सजा जो तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना या दोनों हो सकता है ,

जानिए भारतीय दंड संहिता की धारा 420 को by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत किसी को व्यक्ति को कपट पूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित कर आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, संपत्ति या ख्याति संबंधी क्षति पहुंचाना शामिल है। यह एक दंडनीय अपराध है। इसके तहत सात साल तक के कारावास की सजा का प्रावधान है। येअपराध हैं इसमें शामिलजब कोई व्यक्ति छल करके किसी व्यक्ति को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है जिससे वह व्यक्ति अपनी किसी संपत्ति या उसके अंश को किसी अन्य व्यक्ति को दे दें तो यह धारा-420 के अंतर्गत दंडनीय अपराध का हकदार होगा। यदि कोई व्यक्ति कागज पर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर बना कर उसके माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति से कोई संपत्ति प्राप्त करता है तो यह भी इस धारा के तहत आएगा। इसी तरह कोई व्यक्ति एक सही दस्तावेज हासिल करता है जिसके माध्यम से कोई संपत्ति हस्तांतरित होनी है। यदि वह व्यक्ति उस दस्तावेज को आंशिक रूप से बदल देता है कि उसे संपत्ति का अधिक भाग प्राप्त हो जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। इस तरह छल करके बेईमानी से संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित होने वाली हस्ताक्षरित या मुद्रांकित कोई वस्तु प्राप्त करने या किसी अन्य व्यक्ति को प्राप्त कराने के लिए किया गया हर कार्य इसके तहत अपराध में आता है। इस धारा का बहुत व्यापक प्रभाव है। यही कारण है कि बेईमानी करने वाले हर व्यक्ति को चार सौ बीस कहा जाने लगा है।,,

भारत गॉँवों का देश है। देश की अधिकांश जनता गॉँवों में बसती है।by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, ग्रामवासी अशिक्षा एवं गरीबी के शिकार हैं। ग्रामीण विकास हेतु सरकार कटिबध्द है। ग्राम वासियों का सुलभ एवं सस्ता न्याय प्रदान करने हेतु बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के तहत ग्राम कचहरी की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इसके तहत मुख्य उद्देश्य यह है कि ग्राम वासियों को अपने विश्वास एवं वौट से चुने गये जन प्रतिनिधियों के द्वारा उनके दरवाजे पर ही अगर कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो बिना किसी उलझन एवं परेशानी के, बिना किसी अनावश्यक खर्च के न्याय प्राप्त हो सके। राष्ट्रपिता महात्मा गॉँघी ने यह सपना संजोया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-40 में यह वर्णित है कि राज्य सरकार पंचायत का गठन करेगी एवं पंचायत को स्वायत्ता इकाई के रूप में कार्य करने हेतु शक्ति एवं अधिकार प्रदान करेगी। संविधान निर्माताओं के इस अभिलाषा को साकार करने हेतु वर्ष 2006 में बिहार पंचायत राज अधिनियम में विशेष व्यवस्था की गई। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-90 के तहत ग्राम कचहरी की स्थापना का प्रावधान है। ग्राम कचहरी के कुल पंचों के कुल स्थानों का 510 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए धारा-91 के तहत आरक्षित किए गए हैं, इसका मुख्य उद्देश्य समाज के दबे, कुचले, उपेक्षित एवे अवसरहीनता के शिकार लोगों को मुख्य धारा में लाना है एवं समाज के अन्तिम पायदान पर बैठे लोगों को यह एहसास दिलाना है कि सरकार में उनकी भागीदारी की अहम भूमिका है। महिलाओं को भी मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। ग्राम कचहरी की अवधि पांच वषें तक की होगी । ग्राम कचहरी का सरपंच ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में नामांकित मतदाताओं के बहुमत द्वारा चुना जाएगा। सरपंच के साथ-साथ उप सरपंच का भी निर्वाचन होगा, ऐसी व्यवस्था की गई है। सरपंच के पद के लिए कुल पदों के 50 प्रतिशत के निकटतम स्थान आरक्षित किए गए हैं ताकि समाज के उपेक्षित लोगों की भागीदारी मुख्य रूप से हो सके। ग्राम कचहरी में एक सचिव की नियुक्ति की जाएगी एवं ग्राम कचहरी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता के लिए न्याय मित्र की नियुक्ति करेगा, जो विधि स्नातक होंगे। सरपंच, उप-सरपंच एवं पंचों को सरकार की ओर से प्रशिक्षण की व्यवस्था धारा-94 के तहत की जाएगी। सरपंच ग्राम कचहरी का उध्यक्ष होगा। किसी भी व्यक्ति के आवेदन एवं पुलिस रिपोर्ट पर केस एवं मामला दर्ज होगा। ग्राम कचहरी पक्षकार एवं गवाह की उपस्थिति उसी तरीके से करायेगा, जिस तरीके से न्यायालय करती है। सरपंच तथा उप-सरपंच को तथाकथित अनियमितता बरतने पर हटाये जाने का भी प्रावधान है ताकि परिस्थिति विशेष में वे निरंकुश न हो जायें एवं कानून की मान्यताओं के खिलाफ कार्य करना शुरू न कर दें। अविश्वास प्रस्ताव द्वारा भी सरपंच को हटाने का प्रावधान धारा-96 में किया गया है। ग्राम कचहरी का कोई भी पंच अपने पद का त्याग कर सकता है। आकस्मिक रिक्ति को भी पूरा किए जाने को प्रावधान है। कोई भी केस या मामला सरपंच के समक्ष दायर किया जाएगा एवं संबंधित पक्षकार को भी ग्राम कचहरी के पंचों में से दो पंच चुनने का अधिकार है ऐसी व्यवस्था इसलिए की गई है कि अपने चुने गये पंच के माध्यम से न्याय की प्राप्ति हो सकें एवं न्यायिक प्रक्रिया में ग्राम वासियों की आस्था बनी रहें। ग्राम कचहरी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्राम वासियों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखना है। यह अनिवार्य रूप से स्थापित किया गया है कि गा्रम कचहरी की न्यायपीठ किसी भी मामले की सुनवाई करते समय पक्षकारो के बीच सौहार्दपूर्ण समझौता कराने का प्रयास करेगी। गॉँवों में शिक्षा की कमी एवं गरीबी के कारण आये दिन कोई-न-कोई विवाद हुआ करते हैं एवं ग्राम वासी जटिल कानूनी प्रक्रिया के चक्कर मं फॅँस जाते हैं एवं बाद में चाहते हुए भी आपस में समझौता न कर पाते है। इसलिए इन मुद्दों को ध्यान में रखकर सर्वप्रथम यह प्रावधान किया गया कि किसी भी मुद्दे या विवाद को सामने आने पर ग्राम कचहरी का दायित्व होगा कि पक्षकारें के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार कर समझौता कराए ताकि ग्राम वासियों की मेहनत की कमाई का पैसा उनके विकास पर खर्च हो न कि कानून की जटिल प्रक्रियाओं पर। यदि ग्राम कचहरी समझौता कराने में पूर्णत: विफल रहती है, तो वैसी स्थिति में ग्राम कचहरी में ही, जो ग्राम वासियों के समीप में ही होता है, कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए पूरे मामले की जाँच कर अपना निर्णय देगा। निर्णय लिखित रूप में होगा एवं इस पर सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होगा। ग्राम कचहरी को दो तरह की अधिकारिता दी गई है। धारा-106 एवं 107 के तहत दाण्डिक अधिकारिता दी गई है एवं इस बात को मद्देनजर रखते हुए किर् वर्त्‍तमान न्यायिक व्यवस्था में न्यायालय वादों के निष्पादन में वर्षे बरस लगा रहा है, ग्राम कचहरी को भारतीय दण्ड संहिता की धारा-140, 142, 143, 144, 145, 147, 151, 153, 160, 172, 174, 178, 179, 269, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294, 294(ए), 332, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 374, 403, 426, 428, 430, 447, 448, 502, 504, 506, एवं 510 के तहत किए गए अपराधों के लिए केस को सुनने एवं निर्णय देने के अधिकारिता होगी। ये धराएं मुख्यत: विधि के विरूध्द जमाव से विखर जाने के आदेश दिए जाने के बाद भी उसमें बंधे रहने, बलवा करने के लिए उकसाना, दंगा करने के लिए उकसाना एवं दंगा करना, सम्मन की तामिल से फरार हो जाना, लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर हाजिर रहना, शपथ से इनकार करना, लोक सेवक को उत्तर देने से इनकार करना, उपेक्षपूर्ण कार्य करना, जिससे संकट पूर्ण रोग का संक्रमण संभव हो, जलाशय को कलुषित करना, लोगो मार्गमें बाधा पहुँचाना, अग्नि के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण, आचरण, विस्फोटक पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण, जीव-जन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण, लोक न्यूसेन्स करना, अश्लील कार्य एवं गाने गाना एवं लौटरी कार्यालय रखना, किसी को चोट पहुँचाना, स्वेच्छापूर्वक किसी को किसी के प्रकोप पर चोट पहुँचाना, वैसा कार्य करना जिससे दूसरे को संकट हो, किसी को अवरोधित करना, अपराधिक बल काप्रयोग करना, किसी व्यक्ति का गलत ढंग़ से रोक रखने में आपराधिक बल का प्रयोग करना, मिसचिफ कराना, सम्पत्तिा करना (रिष्टि), जीव-जन्तु का वध करना, जल को क्षति करना, आपराधिक अतिचार कना, गृह अतिचार करना, मानहानि कारक समान रखना या बेचना, लोक शान्ति भंग करना, आपराधिक अभित्रास करना, लोक स्थान में शराब पीना से संबंधित है। इसके अलावे पशु अतिचार अधिनियम एवं लोक धूत अधिनियम से संबंधित मामले को भी सुनने का अधिकार ग्राम कचहरी को दिया गया है।,,

धारा 323 भारतीय दंड संहितास्वेच्छया उपहति कारित करने के लिए दंड- उस दशा के सिवाय जिस के लिए धारा 334 में उपबंध है,by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिस की अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा,,,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-307 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी की हत्या की कोशिश का मामला अगर सामने आता है तो हत्या की कोशिश करने वाले पर आईपीसी की धारा 307 लगाई जाती है। यानि अगर कोई किसी की हत्या की कोशिश करता है,लेकिन जिस शख्स पर हमला हुआ, उसकी जान नहीं जाती तो धारा 307 के तहत हमला करने वाले शख्स पर मुकदमा चलता है। आम तौर पर ऐसे मामलों में दोषी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकते हैं। अगर जिसकी हत्या की कोशिश की गई है उसे गंभीर चोट लगती है तो दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है,,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा 306 और 305आईपीसी की धारा 306 और 305 खुदकुशी या आत्महत्या के मामले से जुड़ी है। by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब अगर कोई शख्स खुदकुशी कर लेता है और ये साबित होता है कि उसे ऐसा करने के लिए किसी ने उकसाया था या फिर किसी ने उसे इतना परेशान किया था कि उसने अपनी जान दे दी तो उकसाने या परेशान करने वाले शख्स पर आईपीसी की धारा 306 लगाई जाती है। इसके तहत 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। अगर आत्महत्या के लिए किसी नाबालिग, मानसिक तौर पर कमजोर या फिर किसी भी ऐसे शख्स को उकसाया जाता है जो अपने आप सही और गलत का फैसला करने की स्थिति में न हो तो उकसाने वाले शख्स पर धारा 305 लगाई जाती है। इसके तहत दस साल की कैद और जुर्माना या उम्रकैद या फिर फांसी की भी सजा हो सकती है,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-292समाज में अश्लीलता फैलाना भी संगीन गुनाह की श्रेणी में आता है। अश्लील साहित्य, अश्लील चित्र या फिल्मों को दिखाना,वितरित करना और इससे किसी प्रकार का लाभ कमाना या लाभ में किसी प्रकार की कोई भागीदारी कानून की नजर में अपराध है और ऐसे अपराध पर आईपीसी की धारा 292 लगाई जाती है। इसके दायरे में वो लोग भी आते हैं जो अश्लील सामग्री को बेचते हैं या जिन लोगों के पास से अश्लील सामग्री बरामद होती है। अगर कोई पहली बार आईपीसी की धारा 292 by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 2 साल की कैद और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या फिर बार-बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद और 5 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। Indian Penal Code (IPC) Section-292Spreading obscenity in society also comes under the category of serious crime. Showing, distributing pornography, pornographic images or films and making any profit or profit from it ,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-294 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें करने या अश्लील गाना गाने पर आईपीसी की धारा 294 लगाई जाती है। इस मामले में गुनाह अगर साबित हो जाए तो तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है,। Indian Penal Code (IPC) Section-294Section 294 of the IPC is imposed on obscene acts or singing obscene songs in public places. If proven guilty in this case, imprisonment for up to three months or fine

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-302 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। कत्ल के मामलों में खासतौर पर कत्ल के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इसमें, पुलिस को सबूतों के साथ ये साबित करना होता है कि कत्ल आरोपी ने किया है, उसके पास कत्ल का मकसद भी था और वो कत्ल करने का इरादा रखता था,। भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-302आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी कीभारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-302आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की, Indian Penal Code (IPC) Section-302Section 302 of the IPC is quite important in many ways. Section 302 is imposed on the accused of murder. If someone is proved guilty of murder, then he is sentenced to life imprisonment or hanged

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-304 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब बीआईपीसी में साल 1986 में एक नई धारा 304 बी को शामिल किया गया है। आईपीसी की यह नई धारा खासतौर पर दहेज हत्या या दहेज की वजह से होनी वाली मौतों के लिए बनाई गई है। अगर शादी के सात साल के अंदर किसी औरत की जलने,चोट लगने या दूसरी असामान्य वजहों से मौत हो जाती है और ये पाया जाता है कि दहेज की मांग की खातिर अपनी मौत से ठीक पहले वह औरत पति या दूसरे ससुराल वालों की तरफ से क्रूरता और उत्पीड़न का शिकार थी, तो आरोपियों पर धारा 304बी लगाई जाती है। इसमें दोषियों को कम से कम 7 साल की कैद होती है। इसमें अधिकतम सजा उम्रकैद है,। Indian Penal Code (IPC) Section-304 By Vnita Kasnia punjab BA new section 304B has been incorporated in the year 1986 in the IPC. This new section of the IPC has been specifically created for dowry deaths or deaths due to dowry. a,

यदि एफआइआर दर्ज करने के ऐवज में पुलिस घूस मांगती है तो इसके विरुद्ध शिकायत कहाँ की जा सकती है?जिला पुलिस अधीक्षक के पास रिपोर्ट लिखित में दर्ज कराएं वंहा डायरी में एंट्री कर के अधीक्षक द्वारा सम्बंधित पुलिस स्टेशन को अगली कार्रवाई के लिए भेजा जाता है । यदि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो तो उस एरिया की अदालत मे पुलिस को कार्रवाई के निर्देश जारी करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है । अदालत पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दे सकती है, कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दे सकती है और जांच पड़ताल की मोनीटरिंग भी कर सकती है ।,

भारतीय दंड संहिता धारा 3 by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भारतीय दण्ड संहिता की धारा ३ ऐसे अपराधो की सजा के बारे में है जो की भारत से बहार किये गए है पर कानून के अनुसार उन्हें भारत में ही पेश किया जायेगा व यही उनकी सुनवाई होगी. इसके तहत कोई भी व्यक्ति जिसपे की यह दंड संहिता लागू होती है के द्वारा किये गए किसी भी अपराध के बारे में, भले ही वोह भारत से बहार किये गए हो की सुनवाई व सजा भारत में होगी,Indian Penal Code Section 3Section 3 of the Indian Penal Code is about the punishment of such crimes which have been taken out of India but according to the law they will be introduced in India and this will be their hearing. Its,

भारतीय दंड संहिता, 1860 में धारा 34 by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब आम इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किया कृत्यों [अधिनियम - एक आपराधिक कृत्य सभी की आम इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जब यह लड़का उसके द्वारा किया गया है, जैसे कि ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक में एक ही तरीके है कि अधिनियम के लिए उत्तरदायी है.,Section 34 of the Indian Penal Code, 1860Acts done by many persons in advancing common intention [Act - A criminal act is committed by many persons in advancing the common intention of all when it,

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-153 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एआईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। धारा 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है ,Indian Penal Code (IPC) Section-153ASection 153 By socialist Vanita Kasani Punjab,(a) of the IPC is imposed on those who try to spread hatred among people on the basis of religion, language, race, etc. Imprisonment up to 3 years under section 153 (a),

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-186 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब अगर कोई शख्स सरकारी काम में बाधा पहुंचाता है तो उस पर आईपीसी की धारा 186 के तहत मुकदमा चलाया जाता है। उसे तीन महीने तक की कैद और 500 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है ,Indian Penal Code (IPC) Section-186If a person obstructs government work, he is prosecuted under section 186 of the IPC. Imprisonment up to three months and fine of up to 500 rupees or both,

परिणामइस संशोधन का तुरंत और संभावित प्रभाव यह है by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भूमि अब उन अधिग्रहण-पूर्व प्रक्रियाओं के बगैर बड़ी तादाद में परियोजनाओं के लिए खरीदी जा सकेगी जिनसें सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट (एसआईए) और प्रभावित परिवारों से पूर्व सहमति का निर्धारण शामिल है। सहमति और सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट प्रक्रियाओं को कानून के डीएनए में शामिल करने के पीछे कारण थे। जमीन अधिग्रहण राज्यों द्वारा जबरन इस्तेमाल का एक माध्यम बन गया था। अधिग्रहण लगभग हमेशा ही जबरन होता था जिससे दंगों और विरोध को बढ़ावा मिल रहा था। सरकार द्वारा 70 से 80 प्रतिशत प्रभावित परिवारों की सहमति हासिल करने की जरूरत के साथ 2013 के कानून में उन लोगों को सशक्त बनाया गया है जो राज्य द्वारा ताकत के मनमाने इस्तेमाल से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं।स्वतंत्रता के इतिहास में पहली बार भारत में नागरिकों को यह एहसास करने का मौका मिला है कि सरकार उनकी भूमि के साथ किस तरह का रवैया अपनाएगी। जमीन अधिग्रहण पर नया अध्यादेश लाकर सत्तारूढ़ पार्टी ने हमें ब्रिटिश काल में लागू कानून के दिनों में ला खड़ा किया है। विभिन्न लोगों द्वारा इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है कि गैर-संशोधित कानून को अभूतपूर्व राष्ट्रीय तौर पर परामर्श के बाद लागू किया गया है जिसमें दो साल लगे। इसके लिए दो सर्वदलीय बैठकें आयोजित हुई।, As a result, the immediate and potential impact of this amendment is by social workers Vanita Kasaniyan Punjab land can now be purchased for a large number of projects without pre-acquisition processes that include social impact,

भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 2014 द्वारा संशोधनों की सूचीसरकार द्वारा किए गए संशोधनों की सूची नीचे दी जा रही है जिन पर मूल कानून में विचार नहीं किया गया। अध्यादेश में स्पेशल कैटेगरी ऑफ प्रोजेक्ट्स (नई धारा 10A) का गठन किया गया जो मंजूरी की अनिवार्यता से अलग है। सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट जरूरतों की विशेषज्ञ समूह द्वारा समीक्षा की गई और बहु-फसली/कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण में इसे शामिल किया गया। श्रेणी के पांच चीजों में इंडस्ट्रियल कॉरिडोरों और बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शामिल किया गया। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत परियोजनाएं भी शामिल हैं। चूंकि ज्यादातर अधिग्रहण इन दो श्रेणियों में आते हैं, इसलिए यह 2013 के मूल कानून के तहत निहित सुरक्षा उपायों को पूरी तरह समाप्त करने के प्रभाव से संबद्ध हैं। रीट्रोस्पेक्टिव क्लॉज की धारा 24(2) में भी संशोधन किया गया। यह धारा इस कानून के प्रभावी होने के बाद से ही बेहद सक्रिय है और रोक आदेश पारित होने की स्थिति में मुकदमेबाजी के तहत खर्च होने वाले समय को अलग रखने के लिए इसमें संशोधन किया गया है। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय की मुआवजा दिये जाने की तय परिभाषा को भी समाप्त किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने चुकाए जाने वाले मुआवजे को अदालत में जमा रकम के रूप में परिभाषित किया था। नई धारा में कहा गया है कि इस मकसद के लिए किसी खाते में चुकाई जाने वाली रकम पर्याप्त है। ‘निजी इकाई’ की परिभाषा को बढ़ा कर इसमें स्वामित्व, भागीदारी, कंपनियों, निगमों, गैर-लाभकारी संगठनों और कानून के तहत अन्य संस्थाओं को शामिल किया गया है। डिफॉल्ट नौकरशाहों को अब सिर्फ अभियोग के लिए मंजूरी मिलने के बाद ही अभियोग के दायरे में लाया सा सकेगा। गैर-संशोधित कानून में कानून के कार्यान्वयन के लिए काम कर रहे अधिकारियों के लिए नियमों के उल्लंघन के मामले में उन्हें दंडित करने के प्रावधान के साथ बड़ी जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है। हालांकि नई सरकार ने सिर्फ सरकार से मंजूरी के बाद ही उनके अभियोग की अनुमति के लिए संबद्ध धारा (धारा 87) में संशोधन किया है। अब अधिकारी जिम्मेदारी के सीमित भय के साथ कानून के कार्यान्वयन में आगे आ सकते हैं। गैर इस्तेमाल वाली जमीन लौटाने के लिए प्रावधानों को छोटा बनाया गया है। अधिग्रहीत भूमि उसके मूल मालिक को लौटाए जाने की तय समय सीमा को कमजोर बना दिया गया है। गैर-संशोधित कानून में जोर देकर यह कहा गया है कि यदि भूमि का इस्तेमाल नहीं हुआ है तो भूमि (मूल मालिक या सरकारी भूमि बैंक को) पांच साल बाद लौटाई जानी चाहिए। हालांकि अध्यादेश में पांच साल की अवधि को अस्वीकार करने वाले क्लॉज में संशोधन किया गया है और अधिग्रहणकर्ता को वैकल्पिक रूप से किसी परियोजना की स्थापना के लिए विशेष अवधि मुहैया कराने की अनुमति दी गई है। इसका प्रभाव यह होगा कि अधिग्रहणकर्ता बगैर किसी जवाबदेही के किसी परियोजना को पूरा करने के लिए लंबी और पर्याप्त अवधि निर्धारित कर सकेगा। कानून के कार्यान्वयन के लिए सरकार को मिले विशेष अधिकारों में इजाफा किया गया है। गैर-संशोधित कानून ने सरकार को दो वर्षों के लिए पारित होने के बाद कानून के कार्यान्वयन के लिए कोई भी जरूरी कदम उठाने का अधिकार दिया है। संभावित दुरुपयोग के संदर्भ में समयावधि एक महत्वपूर्ण सीमा है और इसे यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया कि सरकार इसका इस्तेमाल सिर्फ प्रामाणिक रूप से और अप्रत्याशित परिस्थितियों में करेगी। हालांकि मौजूदा सरकार ने इस समयावधि को बढ़ा कर पांच साल कर दिया है। इससे सरकार को अधिनियम की अपनी व्याख्या का समर्थन करने के लिए किसी जरूरी कदम के लिए बाकी अधिकारों के इस्तेमाल की अनुमति मिली है। ये सभी संशोधन उस कानून की भावना के उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सरकारी तंत्र को नहीं बल्कि सामान्य आदमी को सशक्त और मजबूत बनाए जाने पर केंद्रित है। जबरन अधिग्रहण की व्यवस्था को सीमित करने वाले इस कानून का लक्ष्य काफी हद तक कम आंका गया है।, List of amendments by Land Acquisition Amendment Ordinance By Vnita kasnia Punjab 2014The list of amendments made by the Government is given below which were not considered in the original law. Special category of projects in ordinance,