परिणामइस संशोधन का तुरंत और संभावित प्रभाव यह है by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भूमि अब उन अधिग्रहण-पूर्व प्रक्रियाओं के बगैर बड़ी तादाद में परियोजनाओं के लिए खरीदी जा सकेगी जिनसें सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट (एसआईए) और प्रभावित परिवारों से पूर्व सहमति का निर्धारण शामिल है। सहमति और सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट प्रक्रियाओं को कानून के डीएनए में शामिल करने के पीछे कारण थे। जमीन अधिग्रहण राज्यों द्वारा जबरन इस्तेमाल का एक माध्यम बन गया था। अधिग्रहण लगभग हमेशा ही जबरन होता था जिससे दंगों और विरोध को बढ़ावा मिल रहा था। सरकार द्वारा 70 से 80 प्रतिशत प्रभावित परिवारों की सहमति हासिल करने की जरूरत के साथ 2013 के कानून में उन लोगों को सशक्त बनाया गया है जो राज्य द्वारा ताकत के मनमाने इस्तेमाल से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं।स्वतंत्रता के इतिहास में पहली बार भारत में नागरिकों को यह एहसास करने का मौका मिला है कि सरकार उनकी भूमि के साथ किस तरह का रवैया अपनाएगी। जमीन अधिग्रहण पर नया अध्यादेश लाकर सत्तारूढ़ पार्टी ने हमें ब्रिटिश काल में लागू कानून के दिनों में ला खड़ा किया है। विभिन्न लोगों द्वारा इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है कि गैर-संशोधित कानून को अभूतपूर्व राष्ट्रीय तौर पर परामर्श के बाद लागू किया गया है जिसमें दो साल लगे। इसके लिए दो सर्वदलीय बैठकें आयोजित हुई।, As a result, the immediate and potential impact of this amendment is by social workers Vanita Kasaniyan Punjab land can now be purchased for a large number of projects without pre-acquisition processes that include social impact,

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