भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 2014 द्वारा संशोधनों की सूचीसरकार द्वारा किए गए संशोधनों की सूची नीचे दी जा रही है जिन पर मूल कानून में विचार नहीं किया गया। अध्यादेश में स्पेशल कैटेगरी ऑफ प्रोजेक्ट्स (नई धारा 10A) का गठन किया गया जो मंजूरी की अनिवार्यता से अलग है। सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट जरूरतों की विशेषज्ञ समूह द्वारा समीक्षा की गई और बहु-फसली/कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण में इसे शामिल किया गया। श्रेणी के पांच चीजों में इंडस्ट्रियल कॉरिडोरों और बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शामिल किया गया। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत परियोजनाएं भी शामिल हैं। चूंकि ज्यादातर अधिग्रहण इन दो श्रेणियों में आते हैं, इसलिए यह 2013 के मूल कानून के तहत निहित सुरक्षा उपायों को पूरी तरह समाप्त करने के प्रभाव से संबद्ध हैं। रीट्रोस्पेक्टिव क्लॉज की धारा 24(2) में भी संशोधन किया गया। यह धारा इस कानून के प्रभावी होने के बाद से ही बेहद सक्रिय है और रोक आदेश पारित होने की स्थिति में मुकदमेबाजी के तहत खर्च होने वाले समय को अलग रखने के लिए इसमें संशोधन किया गया है। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय की मुआवजा दिये जाने की तय परिभाषा को भी समाप्त किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने चुकाए जाने वाले मुआवजे को अदालत में जमा रकम के रूप में परिभाषित किया था। नई धारा में कहा गया है कि इस मकसद के लिए किसी खाते में चुकाई जाने वाली रकम पर्याप्त है। ‘निजी इकाई’ की परिभाषा को बढ़ा कर इसमें स्वामित्व, भागीदारी, कंपनियों, निगमों, गैर-लाभकारी संगठनों और कानून के तहत अन्य संस्थाओं को शामिल किया गया है। डिफॉल्ट नौकरशाहों को अब सिर्फ अभियोग के लिए मंजूरी मिलने के बाद ही अभियोग के दायरे में लाया सा सकेगा। गैर-संशोधित कानून में कानून के कार्यान्वयन के लिए काम कर रहे अधिकारियों के लिए नियमों के उल्लंघन के मामले में उन्हें दंडित करने के प्रावधान के साथ बड़ी जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है। हालांकि नई सरकार ने सिर्फ सरकार से मंजूरी के बाद ही उनके अभियोग की अनुमति के लिए संबद्ध धारा (धारा 87) में संशोधन किया है। अब अधिकारी जिम्मेदारी के सीमित भय के साथ कानून के कार्यान्वयन में आगे आ सकते हैं। गैर इस्तेमाल वाली जमीन लौटाने के लिए प्रावधानों को छोटा बनाया गया है। अधिग्रहीत भूमि उसके मूल मालिक को लौटाए जाने की तय समय सीमा को कमजोर बना दिया गया है। गैर-संशोधित कानून में जोर देकर यह कहा गया है कि यदि भूमि का इस्तेमाल नहीं हुआ है तो भूमि (मूल मालिक या सरकारी भूमि बैंक को) पांच साल बाद लौटाई जानी चाहिए। हालांकि अध्यादेश में पांच साल की अवधि को अस्वीकार करने वाले क्लॉज में संशोधन किया गया है और अधिग्रहणकर्ता को वैकल्पिक रूप से किसी परियोजना की स्थापना के लिए विशेष अवधि मुहैया कराने की अनुमति दी गई है। इसका प्रभाव यह होगा कि अधिग्रहणकर्ता बगैर किसी जवाबदेही के किसी परियोजना को पूरा करने के लिए लंबी और पर्याप्त अवधि निर्धारित कर सकेगा। कानून के कार्यान्वयन के लिए सरकार को मिले विशेष अधिकारों में इजाफा किया गया है। गैर-संशोधित कानून ने सरकार को दो वर्षों के लिए पारित होने के बाद कानून के कार्यान्वयन के लिए कोई भी जरूरी कदम उठाने का अधिकार दिया है। संभावित दुरुपयोग के संदर्भ में समयावधि एक महत्वपूर्ण सीमा है और इसे यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया कि सरकार इसका इस्तेमाल सिर्फ प्रामाणिक रूप से और अप्रत्याशित परिस्थितियों में करेगी। हालांकि मौजूदा सरकार ने इस समयावधि को बढ़ा कर पांच साल कर दिया है। इससे सरकार को अधिनियम की अपनी व्याख्या का समर्थन करने के लिए किसी जरूरी कदम के लिए बाकी अधिकारों के इस्तेमाल की अनुमति मिली है। ये सभी संशोधन उस कानून की भावना के उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सरकारी तंत्र को नहीं बल्कि सामान्य आदमी को सशक्त और मजबूत बनाए जाने पर केंद्रित है। जबरन अधिग्रहण की व्यवस्था को सीमित करने वाले इस कानून का लक्ष्य काफी हद तक कम आंका गया है।, List of amendments by Land Acquisition Amendment Ordinance By Vnita kasnia Punjab 2014The list of amendments made by the Government is given below which were not considered in the original law. Special category of projects in ordinance,

Comments