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संशोधन की पृष्ठभूमि और समयावधि (Vnita punjab) 29 दिसंबर, 2014 को भारत सरकार की आधिकारिक मीडिया इकाई, प्रेस इन्फॉर्मैशन ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। इस विज्ञप्ति में बिना किसी तथ्य के यह घोषित किया गया था कि ‘इसके (कानून के) अमल में कई दिक्कतें आ रही हैं।’ विज्ञप्ति में आगे कहा गया, ‘इन दिक्कतों को दूर करने के लिये कानून में कुछ संशोधन किये गये हैं जो ‘प्रभावित परिवारों’ के हितों को सुरक्षित करने वाले प्रावधानों को और मजबूत बनाएंगे।’ इस विज्ञप्ति में उन संशोधनों की सामान्य तस्वीरें पेश की गई। यह आधिकारिक अध्यादेश लाये जाने से दो दिन पहले की बात है जब इसकी जानकारी लोगों को दी गई। प्रेस विज्ञप्ति में यह बताया गया कि सिर्फ दो संशोधन ही किए जाएंगे।पहला संशोधन कानून में मुआवजे और पुनर्वास एवं पुन:स्थापन के प्रावधान लागू किए जाने के संबंध में, जिसे चौथी अनुसूची के तहत अलग रखा गया था। गैर-संशोधित कानून के अंतर्गत, सिर्फ सहमति और सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट क्लॉज को अलग रखा गया था जिसमें चौथी अनुसूची में 13 कानूनों को शामिल किया गया था। यह व्यवस्था इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक अस्थायी उपाय के तौर पर की गई थी कि कुछ परियोजनाएं जरूरी थीं, और अन्य की तुलना में अधिक योग्य थीं। इस सूची में रेलवे, नेशनल हाईवे, परमाणु ऊर्जा, बिजली आदि के उद्देश्य के लिए अधिग्रहण शामिल थे। यहां तक की इन 13 कानूनों में भी एक साल के भीतर यानी 31 दिसंबर 2014 तक संशोधन किए जाने थेताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुआवजा, पुनर्वास और पुन:स्थापन क्लॉज को नए कानून (संशोधित कानून की धारा 105 देखें) के समान लाया जा सके। क्योंकि संशोधन की यह जरूरत कानून में तब शामिल की गई थी जब इसे पारित किया गया और यह पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं थी। दरअसल, यह एक ऐसा जरूरी सुरक्षा उपाय था जिसमें अधिग्रहण विकल्प निर्धारित करने की विभिन्न विधियों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए किसानों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। दूसरा संशोधन उन परियोजनाओं की नई श्रेणी बनाए जाने से संबंधित था जिन्हें प्रभावित परिवारों की सहमति से अलग रखा जाएगा। इन परियोजनाओं को सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट प्रोसेस में निर्धारितमानकों पर जांचे जाने की भी जरूरत नहीं होगी। इन नई श्रेणियों (नई धारा 10A द्वारा शामिल) में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (PPP परियोजनाएं शामिल) जैसी अस्पष्ट शब्दावली को शामिल किया गया है। इसके साथ साथ इसमें ग्रामीण विद्युतीकरण और गरीबों के लिए आवासीय सुविधा के सार्वजनिक उद्देश्यों को शामिल किया गया है। श्रेणी बनाने का औचित्य कभी पेश नहीं किया गया। गैर-संशोधित कानून में दी गई रियायतें लगातार सार्वजनिक परामर्श का परिणाम थीं और कुछ हद तक समझौताकारी भी। अध्यादेश के मामले में, रियायतें बगैर किसी स्पष्टीकरण के ही तैयार की गईं। प्रेस विज्ञप्ति में भ्रामक तौर पर यह भी सुझाव दिया गया कि ये उपाय रक्षा उद्देश्यों के लिए अधिग्रहण को आसान बनाएंगे। हालांकि यह दावा किए जाने के संदर्भ में किसानों ने इस तथ्य की अनदेखी की कि रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अर्जेंसी क्लॉज के तहत अधिग्रहण पहले से ही सुरक्षित है।जिस तरीके से संशोधन को पेश किया गया यह अनौपचारिक रुप से उसका एक डरावना पक्ष था। लोगों की राय लेकर बनाये जाने वाले कानून के लिए कोई मसौदा व्यापक तौर पर लोगों के साथ साझा नहीं किया गया था। लोगों से उनकी राय/टिप्पणी आमंत्रित करने की जरूरत को नजरअंदाज किया गया और कानून को अधिकारियों और मंत्रालय स्तर के प्रतिनिधियों के एक वर्ग द्वारा तैयार किया गया। कई समूहों को इस कानून में संशोधन से पहले अपनी बात रखने के लिये संघर्ष करना पड़ा, लेकिन कुछ को ही इसका अवसर मिला। यह तर्क दिया जा सकता है किवे इस संशोधन प्रक्रिया के लिए हिस्सेदार नहीं थे। सरकार के पास संसद में इस विधेयक को पेश करने में विफल रहने के कई कारण थे। संसद के समक्ष इस संबंध में कोई आधिकारिक दस्तावेज पेश नहीं किया गया। जब अध्यादेश की घोषणा हुई और चार दिन के बाद इसे लागू कर दिया गया तो सभी हैरान रह गये। Background and timeline of the amendment (Vnita punjab) A press release in this regard was issued on 29 December 2014 by the Press Information Bureau (PIB), the official media unit of the Government of India. This release ,

परिचयभूमि अधिग्रहण कानून (Vnita kasnia punjab) 2013 में संशोधन करते हुए भारत सरकार ने 31 दिसंबर, 2014 को एक नया अध्यादेश पेश किया। यहां हम इस कानूनी बदलाव के महत्व और परिणाम की चर्चा करेंगेनई सरकार के सत्ता संभालने के तुरंत बाद यह साफ हो गया था कि जमीन अधिग्रहण कानून में जल्द बदलाव किए जाएंगे। यह घटनाक्रम राजनीतिक अभियान के जरिये एक मुख्य मुद्दा बन गया और जमीन अधिग्रहण इन चर्चाओं का एक अहम हिस्सा। लोगों ने इसे काल्पनिक चुनौतियों का रूप दिए जाने से पहले ईमानदारी से अमल में लाए जाने के लिए प्रेस में काफी कुछ लिखा। किसानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने भी इसको लेकर आवाजें उठाई जिन्होंने सरकार को कानून में संशोधन करने से रोकने के मकसद से रैलियां आयोजित की। ,The Government of India introduced a new ordinance on 31 December 2014, amending the Introductory Land Acquisition Act (Vnita kasnia punjab) 2013. Here we will discuss the importance and consequences of this legal change.

पत्नी द्वारा किया जाने वाला अत्याचार (Vnita punjab)अदालत में स्त्री को मिली कानूनी सुरक्षा का माखौल उड़ते भी देखा गया है. अपने पूर्व के प्रेम संबंध, जबरदस्ती विवाह, आपस में सामांजस्य नहीं बैठने या किसी अन्य कारणों से स्त्री इन सात वर्षों में आत्महत्या की धमकी देते हुए पति का मानसिक शोषण करने की दोषी भी पाई गई हैं. जबरदस्ती दहेज प्रताडऩा में पूरे परिवार को फंसाने का मामला आए दिन सामने आता रहता है. Vnita punjab committed by the wife has also been seen flying the mockery of legal protection given to the woman. Your former love affair, forced marriage, not reconciling or kissing,

निष्कर्षविवाह वास्तव में एक जुआ की तरह है, (Vnita kasnia punjab)यदि दांव सही पड़ गया तो जीवन स्वर्ग, अन्यथा नरक के सभी रास्ते यहीं खुल जाते हैं. अच्छा यह हो कि विवाह के लिए जीवनसाथी का चुनाव लड़का-लड़की खुद करे यानी प्रेम विवाह करे और विवाह होते ही कम से कम सात साल तक दोनो अपने-अपने परिवार से अलग आशियाना बसाए. देखा गया है कि पारिवारिक हस्तक्षेप के कारण ही एक लड़का-लड़की का जीवन नरक बन जाता है पारंपरिक अरेंज मैरिज में भी मां-बाप बच्चों की शादी कर देने के बाद उन्हें स्वतंत्र रूप से जिंदगी जीने दें तो दोनों का जीवन सामांजस्य की पटरी पर आसानी से दौड़ पाएगा. Conclusion Vivah is really like a gamble, (Vnita kasnia punjab) If the stakes are right then life heaven, otherwise all the paths of hell open here. It is good that the choice of spouse for marriage is boy-fighting,

कानूनन स्त्री की सुरक्षाक्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट की धारा(Vnita kasnia punjab) 498 क के अनुसार, एक विवाहित स्त्री पर उसके पति या उसके रिश्तेदार द्वारा किया गया अत्याचार या क्रूरता का व्यवहार एक दंडनीय अपराध है। विधि में यह प्रावधान भी है कि विवाह के सात वर्ष के भीतर यदि पत्नी आत्महत्या कर लेती है या उसकी मौत किसी संदिग्ध परिस्थिति में हो जाती है तो काननू के दृष्टिकोण से यह धारणा बलवती होती है कि उसने यह कदम किसी किस्म की क्रूरता के वशीभूत होकर उठाया है .According to Section 498A of the Criminal Amendment Act, the protection of a woman by law, the behavior of atrocities or cruelty on a married woman by her husband or her relative is a punishable offense.,

दहेज है स्त्री धनदहेज का अभिप्राय (Vnita punjab)विवाह के समय वधु पक्ष द्वारा वर पक्ष को दी गई चल-अचल संपत्ति से है। दहेज को स्त्री धन कहा गया है। विवाह के समय सगे-संबंधियों, नातेदारों आदि द्वारा दिया जाने वाला धन, संपत्ति व उपहार भी दहेज के अंतर्गत आता है. यदि विवाह के बाद पति या पति के परिवार वालों द्वारा दहेज की मांग को लेकर दूसरे पक्ष को किसी किस्म का कष्ट, संताप या प्रताडऩा दे तो स्त्री को यह अधिकार है कि वह उक्त सारी संपत्ति को पति पक्ष से वापस ले ले.हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-27 स्त्री को इस प्रकार की सुरक्षा प्रदान करती है। वर्ष 1985 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश फाजिल अली ने अपने एक फैसले में निर्णय दिया था कि स्त्री धन एक स्त्री की अनन्य संपत्ति है. यह संपत्ति पति पक्ष पर पत्नी की धरोहर है और उस पर उसका पूरा अधिकार है। इसका उगंघन दफा-406 के तहत अमानत में ख्यानत का अपराध है, जिसके लिए जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। इस निर्णय की वजह से धारा-27 की समुचित व्याख्या हो गई है. Dowry is the meaning of female money dowry (Vnita punjab) is the movable and immovable property given by the bridegroom to the groom at the time of marriage. Dowry is called female money. Given by relatives, relatives etc. at the time of marriage ,

वैवाहिक मुकदमों की प्रकृतिकानूनन वैवाहित स्थिति में (Vnita punjab)स्त्री की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा गया है. वैवाहिक मुकदमों की प्रकृति देखें तो अक्सर वधु पक्ष द्वारा वर पक्ष पर दहेज प्रताडऩा, शारीरिक शोषण और पुरुष के पर स्त्री से संबंध जैसे मामले दर्ज कराए जाते हैं, वहीं वर पक्ष द्वारा स्त्री का किसी गैर मर्द से अवैध संबंध, मानसिक प्रताडऩा जैसे मामला दर्ज कराने के मामले देखे गए हैं.वैसे कई बार अदालत में यह भी साबित हुआ है कि वधु पक्ष द्वारा वर पक्ष को तंग करने के लिए अक्सर दहेज के मामले दर्ज कराए जाते हैं। तिहाड़ के महिला जेल में छोटे-से बच्चे से लेकर 90 वर्ष की वृद्धा तक दहेज प्रताडऩा के आरोप में बंद हैं.

विवाह संबंधी अपराध की धारा (Vnita punjab)493 से 498 तक* धारा-493: स्त्री को इस विश्वास में रखकर सहवास कि वह पुरुष उससे विधिपूर्वक विवाहित है.* धारा-494: पति-पत्नी में से किसी एक के द्वारा दूसरे के जीवित रहने के बावजूद दूसरा विवाह करना.* धारा-495: एक पक्ष द्वारा अपने पूर्ववर्ती विवाह को छुपाकर दोबारा से विवाह करना.* धारा- 496: लड़का या लड़की द्वारा छलपूर्ण आशय से विपरीत पक्ष को यह विश्वास दिलाना कि उनका विवाह विधिपूर्वक मान्य नहीं है।* धारा-497: जारकर्म.* धारा- 498: आपराधिक आशस से किसी पुरुष द्वारा विवाहित स्त्री को फुसलाना .* धारा-498 क: किसी विवाहित स्त्री पर पति या पति के नातेदार द्वारा क्रूरतापूर्ण व्यवहार. Vnita punjab Section 493 to 498 * Section-493: Cohabiting a woman in the belief that the man is married to her lawfully. * Section-494: Second by one of the spouses ,

परिचयआए दिन विवाह टूटने की ऐसी कई वजहें पढऩे को मिलती है. (Vnita punjab)अदालतें ऐसे मुकदमों से भरी पड़ी हैं. कहीं वर पक्ष तो कहीं वधु पक्ष शोषण झूठा मुकदमा दर्ज करा रहा है. हिंदू विवाह एक संस्कार है- हिंदूओं में विवाह को संस्कार माना गया है, जिसमें विवाह को जन्म-जन्म का रिश्ता कहा गया है. लेकिन लगता है यह सब अतीत की बातें हैं, क्योंकि अब विवाह में शोषण भी दिखता है, हत्याएं भी होती है और एक-दूसरे को नीचा दिखाने का खेल भी चलता है. यहां हम विवाह के संबंध में विधि द्वारा स्थापित कानून की जानकारी दे रहे हैं ताकि वैवाहिक शोषण से निपटने में इसकी जानकारी लोगों के काम आ सके।, Introduction: There are many reasons to break up marriage on this day. (Vnita punjab) The courts are full of such cases. Somewhere the bride side is filing a false case of exploitation. Hindu marriage is a ritual ,

(धारा 362, 364, 364क, 365, 366, 367, 369 भारतीय दंड संहिता (Vnita punjab) व्यपहरणः- किसी बालिग व्यक्ति को जोर जबरदस्ती से या बहला फुसला कर किसी कारण से कहीं ले जाया जाए तो यह व्यपहरण का अपराध है। यह कारण निम्नलिखित हो सकते है। जैसेः- फिरौती की रकम के लिए, उसे गलत तरीके से कैद रखने के लिए, उसे गंभीर चोट पहुँचाने के लिए, उसे गुलाम बनाने के लिए इत्यादि। धारा 366 भारतीय दंड संहिता :- धारा के अन्तर्गत विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को अपहृत करना या उत्प्रेरक करने के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि जो कोई किसी स्त्री का अपहरण या व्यपहरण उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या यह विवश की जायेगी, यह सम्भाव्य जानते हुए अथवा आयुक्त सम्भोग करने के लिए उस स्त्री को विवश, यह विलुब्ध करने के लिए, यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिनकी अवधि दस वर्ष तक से भी दण्डनीय होगी (Sections 362, 364, 364A, 365, 366, 367, 369 Indian Penal Code (Vnita punjab) Adultery: - It is a crime of adultery if an adult person is forcibly taken away for some reason by force or seduction. K,