प्रसवपूर्व निदान तकनीकों का (वनिता पंजाब) अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत आनुवंशिक सलाह केन्द्रों, आनुवंशिक प्रयोगशालाओं, आनुवंशिक क्लीनिकों और इमेजिंग सैंटरों में जहां गर्भधारणपूर्व एवं प्रसवपूर्व निदान तकनीक से संचालन की व्यवस्था है, वहां जन्म पूर्व निदान तकनीकों का उपयोग केवल निम्न लिखित विकारों की पहचान के लिए ही किया जा सकता हैः- 1. गणसूत्र संबंधी विकृति2. आनुवंशिक उपापचय रोग 3. रक्त वर्णिका संबंधी रोग4. लिंग संबंधी आनुवंशिक रोग5. जन्म जात विकृतियां6. केन्द्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड द्वारा संसूचित अन्य असमानताएँ एवं रोग। इस अधिनियम के अंतर्गत यह भी व्यवस्था है कि प्रसव पूर्व निदान तकनीक के उपयोग या संचालन के लिए चिकित्सक निम्नलिखित शर्तों को भली प्रकार जांच कर लेवे की गर्भवती महिला के भ्रूण की जाँच की जाने योग्य है अथवा नहीं: 1. गर्भवती स्त्री की उम्र 35 वर्ष से अधिक है। 2. गर्भवती स्त्री के दो या दो से अधिक गर्भपात या गर्भस्त्राव हो चुके हैं। 3. गर्भवती स्त्री नशीली दवा, संक्रमण या रसायनों जैसे सशक्त विकलांगता पदार्थों के संसर्ग में रही है। 4. गर्भवती स्त्री या उसके पति का मानसिक मंदता या संस्तंभता जैसे किसी शारीरिक विकार या अन्य किसी आनुवंशिक रोग का पारिवारिक इतिहास है। 5. केन्द्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड द्वारा संसुचित कोई अन्य अवस्था है।

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