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जमानत क्या होती है जमानत के कितने प्रकार हैं? By वनिता कासनियां पंजाब आज हम आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया और बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी बताएंगे यह जानकारी हम सभी के लिए जाना बहुत ही जरूरी है जैसा कि हम सभी जानते हैं जब कोई इंसान किसी तरह अपराध करता है तो उसको पुलिस जेल ले जाती है और फिर वहां से उस आदमी को जमानत पर बाहर निकाला जाता है लेकिन कई बार ऐसे केस भी होते हैं जिसमें अपराधी को जेल जाने से पहले ही जमानत मिल जाती है.लेकिन बहुत से केस ऐसे भी होते हैं जिममें अपराधी को जमानत के ऊपर छोड़ा जाए या ना छोड़ा जाए यह निर्णय अदालत करती है.जमानत या बेल कितने प्रकार की होती हैं जमानत पर अपराधी को छोड़ने के लिए क्या क्या प्रोसेस होता है जमानत बांड क्या होता है तो इन सभी चीजों के बारे में आज हम आपको इस पोस्ट में पूरी जानकारी विस्तार से देंगे औरहम आपको इन सभी चीजों के बारे में एक-एक करके अच्छे से बताएंगे तो आप इस जानकारी को पूरा और अंत तक जरूर पढ़ें ताकि आपको अच्छे से समझ में आए.जमानत किसे कहते हैंजब कोई इंसान किसी अपराध के कारण जेल जाता है तो उस इंसान को जेल से छुड़वाने के लिए अदालत या पुलिस से जो आदेश दिया जाता है उसकी आदेश को जमानत/बेल कहते हैंजमानत कितने प्रकार की होती हैजमानत मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है1. Bailable Offence Bail – किसी भी तरह के जमानती अपराध में अभियुक्त की जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी और कोर्ट का काम होता है. जैसे यदि कोई इंसान किसी इंसान को जानबूझकर चोट पहुंचाता है. या कोई इंसान किसी तरह के मानहानि करता है तो यह सभी जमानतीय अपराध होते हैं. वैसे तो जमानतीय अपराध में जेल से ही बेल मिल जाती है. जिनमें लेकिन कई बार केस कोर्ट में भी चला जाता है तो फिर अभियुक्त को कोर्ट में बेल की अर्जी देनी होती है और कोर्ट को बेल देनी ही पड़ेती है.2. Non Bailable Offence Bail – जब कोई किसी तरह का गंभीर मामला होता है तो उसमें गैर जमानती अपराध बनाया जाता है और इस दौरान जमानत स्वीकार करना है या नहीं करना कोर्ट के ऊपर निर्भर करता है.चोरी, मर्डर गैर जमानती अपराधों में आते हैं. और इन सभी मामलों में अपराधी को जमानत आईपीसी धारा 437 के अंतर्गत मिलती है.3.अग्रिम यानी एंटीसिपेट्री बेल – एंटीसिपेट्री जमानत कोर्ट का वो आदेश होता है जिसमें किसी भी इंसान को किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार करने से पहले ही जमानत मिल जाती हैं. किसी भी तरह के गैरजमानती अपराध में अभियुक्त को यदि गिरफ्तार होने की आशंका हो तो वह गिरफ्तार होने से पहले ही जमानत के लिए अर्जी दे सकता है. और कोर्ट सुनवाई के बाद एंटीसिपेट्री बेल दे देती है यह जमानत पुलिस की जांच होने तक जारी रहती है. और एंटीसिपेट्री की बेल आईपीसी धारा 438 के अंतर्गत आती है.बेल Bond क्या होता हैजब किसी आदमी को किसी अपराध के लिए जेल हो जाती है तो उस आदमी को जेल से जमानत पर छुड़वाने के लिए कुछ प्रॉपर्टी या किसी चीज को देने का वादा किया जाता है. और उसी चीज के आधार पर अपराधी को जमानत मिलती है. और उसको ही बेल बांड कहा जाता है. और जब किसी अपराधी को जमानत पर किसी प्रॉपर्टी या किस चीज को देने के वादे के आधार पर छोड़ दिया जाता है तो उससे यह साबित होता कि अपराधी कोर्ट में सुनवाई के दौरान जरूर हाजिर होगा.और अगर कोई अपराधी जमानत मिलने के बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर नहीं होता है तो जिस आदमी ने उसकी जमानत ली थी वह आदमी उसको पकड़ कर पुलिस को सोपेगा और अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो जमानत में दी गई राशि कोर्ट में जमा करवा ली जाएगी और उस आदमी की जमानत भी जप्त कर ली जाएगी.कई जगह पर दिल्ली राजस्थान जैसे राज्यों में जमानत के लिए एक ही जमानती देना होता है. लेकिन कई दूसरे राज्य जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश में लोगों को जमानती के ऊपर एक गवाह भी देना होता है और वह यह कहेगा कि वह अपराधी को जानता है और वह उसका तरह से गारंटर होगा क्योंकि अगर अपराधी जमानत के बाद भाग जाए तो वही आदमी वही उसको कोर्ट के सामने लाएगा और इसमें वह सक्षम भी है लेकिन इस दौरान गवाह पर कोर्ट के द्वारा किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं होता है और ना ही उसका किसी तरह का नुकसान भरेगा.जमानत मिलने के बाद की शर्तेंजब किसी अपराधी को कोर्ट के द्वारा जमानत दे दी जाती है तो वह आदमी जेल से बाहर तो घूम सकता है लेकिन कोर्ट के द्वारा इसके साथ ही उसके ऊपर कई शर्तें भी लगाई जाती है. और यह सभी शर्तें बेल बांड से अलग होती है जैसेआप रिहा होने के बाद शिकायत करने वाले को परेशान नहीं करेंगे.रिहा होने के बाद आप किसी भी तरह के सबूत या गवाह को मिटाने की कोशिश नहीं करेंगे.इसके अलावा अपराधी के ऊपर कोर्ट विदेश में जाने की भी पाबंदी लगा सकता है.और इसके साथ साथ अपराधी का किसी अपने शहर में रहना या अपने एरिया में रहने रहना भी तय कर सकता है.कई बार अपराधी को हर रोज पुलिस स्टेशन में आकर हाजिरी लगाने भी फिक्स कर सकता है.और ऐसा न करते पाए जाने पर कोर्ट आपकी जमानत को रद्द भी कर सकता है.बहुत से केस में ऐसा पाया जाता है कि शिकायत करने वाला कोर्ट में झूठी शिकायत कर देता है कि अपराधी रिहा होने के बाद परेशान कर रहा है या गवाह या सबूत को मिटाने की कोशिश कर रहा है जिससे अपराधी की जमानत रद्द की जा सकती है तो ऐसे मामलों में अपराधी को खुद को बचना होगा.जमानत देने के मापदंड क्या होते हैंअदालतों में जमानत देने के अलग-अलग मापदंड होते हैं कई अदालतें यह देखती है कि अपराध की गंभीरता कितनी है और कई अदालतें यह देखती है कि क्या अपराधी को जमानत मिलने के बाद वह सबूतों और गवाहों को परेशान करेगा या उनको मिटाने की कोशिश करेगा.मान लीजिए किसी गंभीर अपराध में 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है तो उस केस में पुलिस को 90 दिन के अंदर Charge Sheet दाखिल करनी होती है. और अगर पुलिस 90 दिन के अंदर चार्ज सीट दाखिल नहीं कर पाती तो अपराधी जमानत का अधिकारी होता हैकोई भी आरोपी अधिकार के तौर पर जमानत नहीं मांग सकता है उसके लिए आवेदन देना होता है तो उसके बाद कोर्ट यह देखता है कि अपराध की गंभीरता कितनी है और दूसरा यह कि जमानत मिलने के बाद अपराधी किसी तरह के गवाहों को डराया धमकाया या नहीं या अपने खिलाफ सबूतों को मिटाएगा या उनको नष्ट नहीं करेगा.कोर्ट से जमानत कैसे ली जाती हैकिसी भी अपराधी को जमानत लेना बहुत मुश्किल काम होता है इसके लिए आप को एक आवेदन देना होता है और सबसे पहले आपको आवेदन में लिखना होगा की शिकायत करने वाले ने आप के खिलाफ झूठी FIR क्यों लिखवाई है और इसका कारण आपको जरूर बताना होगा क्योंकि कोर्ट आपको मुजरिम या अपराधी समझती हैं. तो कोर्ट को यह बताना बहुत ही जरूरी होगा कि आप के खिलाफ FIR क्यों करवाई गई है दूसरा जो आपके खिलाफ FIR करवाई गई है. उसमें आपको गलतियां निकालना चाहिए. ताकि किसी भी तरह से वह आपके खिलाफ FIR सच साबित न हो और अगर आपके पास किसी भी तरह का कोई सबूत हो तो उसका सहारा भी आप ले सकते हैं. और गिरफ्तारी होने के बाद पुलिस छोटे अपराधों में 60 दिन में और गंभीर अपराधों में 90 दिन के अंदर चार्ज सीट दाखिल करनी होती है. और अगर पुलिस 90 दिन के अंदर किसी भी तरह की कोई चार्ज सीट दाखिल नहीं कर पाती है तो आपको जमानत मिल सकती है और अगर आपका पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है तो भी आप जल्दी से जमानत ले सकते और आप जमानत लेने के लिए टैक्स रिटर्न या आपकी फैमिली आपके ऊपर डिपेंड है या आप कम उम्र के हैं इस तरह की चीजों का भी सहारा ले सकते हैं.जमानत मिलने में सबसे बड़ी रुकावट सरकारी वकील जांच करने वाले पुलिस अधिकारी होते हैं. अगर यह आपकी जमानत का विरोध ना करें तो आपको जल्द ही जमानत मिल सकती है. और लगभग ज्यादातर जमानत दिलाना आप के वकील के हाथ में होता है. अगर आपका वकील अच्छा है और सही तरीके से आप के केस को जज को समझा पाता है. तो आपको जल्द ही जमानत मिल जाएगी और गैर जमानती है केस में किस को जमानत देनी चाहिए और किसको नहीं देनी चाहिए यह कोर्ट की निर्णय करती है.जमानत का विरोध कैसे करेंकई बार हमारे सामने ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि हम अपराधी को सबक सिखाने के लिए उसके बेल को रद्द करवाना चाहते हैं तो उस स्थिति में जमानत को रद्द कैसे करवाया जाता है.यदि बेल का विरोध करने वाली एक लड़की है. तो कोर्ट की तरफ से एक लैटर आएगा और यदि विरोध करने वाला लड़का है तो आपको कोर्ट में एक एप्लीकेशन लगानी होती हैं. उस एप्लीकेशन में लिखना होता है कि जब भी आरोपी को जमानत मिली तो उसकी सूचना आपको मिलनी चाहिए ताकि आप उसका विरोध कर सकें. और जब भी आप कोर्ट में बेल के विरोध के लिए जाते हैं तो आपको अपने मेडिकल के जो भी पेपर होते हैं वह अपने साथ ले जाने चाहिए और अपने सारे सबूत भी अपने साथ ले जाना चाहिए. आपसे कोर्ट में सवाल पूछे जाएंगे और उनका आपको सही और बिल्कुल अच्छे तरीके से जवाब देना होगा. ताकि कोर्ट को आपके ऊपर विश्वास हो यदि फिर भी अपराधी को जमानत मिल जाती है तो आप कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं कि आरोपी आपको परेशान कर रहा है और सबूत और गवाह को मिटाने की कोशिश कर रहा है. यदि फिर भी कोर्ट अपराधी को जमानत दे देता है.तो आप ऊपर की कोर्ट में उसके बेल खारिज करवाने के लिए एप्लीकेशन लगा सकते हैं सरकारी वकील और पुलिस अधिकारी के ऊपर आपको पूरी नजर रखनी चाहिए. यदि कोई वकील या पुलिस अधिकारी जमानत दिलाने में मदद करता है. तो आप उनकी शिकायत भी कर सकते हैं.

जमानतभूमिकापरिचयकिशोर की जमानत By वनिता कासनियां पंजाब भूमिका जमानत का अर्थ है किसी आरोपी को जाँच या पेशी चलते हुए छोड़ा जाना और साथ ही भविष्य में चलने वाली पेशियों में उसकी मौजूदगी करना। दंड प्रक्रिया संहिता अपराधों को जमानती या गैर जमानित अपराधों की श्रेणी में विभाजित करती है। कोई अपराध जमानती है या नहीं यह दंड प्रक्रिया संहिता की प्रथम सारणी या विशेष अपराध के लिए बने स्थानीय या विशेष कानूनों के अंतर्गत तय होता है। जमानती अपराधों में, जमानत पाना आरोपी का अधिकार है, और यह जमानत किसी पुलिस अधिअक्र या जिस न्यायालय के समक्ष पेश किया गया है, उसके द्वारा दिया जा सकता है। गैर जमानती अपराध में जमानत अधिकार नहीं होता और और तथ्यों व परिवेश के आधार पर हरेक मामले में न्यायालय जानत को स्वीकार या अस्वीकार करेगा। किसी अपराध की गंभीरता व आरोप पक्ष के गवाहों को धमकाने या बिगाड़ने की संभावना, कुछ ऐसी परिस्थितियाँ दी गई हैं जिनपर यदि गैर जमानती अपराध हो तो भी जमानत दिया जाता है, जैसे यदि आरोपी महिला या बीमार या उम्रदराज या कमजोर हो तो।परिचयकिशोर कानून में जमानत को लेकर बिल्कुल अलग समझ है। विभिन्न बाल कानूनों के लागू होने के बाद से किशोर कानूनों के अंतर्गत है, जबतक कि कुछ बताए गए मामलों में छोड़ा जाना बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता हो, उदहारण के लिए बी सी ए 1948 के अंतर्गत किसी गारी जमानती अपराध को करने वाला किशोर पुलिस अधिअक्र या न्यायालय द्वारा छोड़ा जा सकता है जब तक ऐसा न हो कि उसे जमानत पर छोड़ना उसे किसी धुरंधर अपराधी के संपर्क में ला सकता है या उसे नैतिक खतरे हैं या उसे छोड़ा जाना न्याय की हार हो सकती है। किशोर को जमानत पर छोड़ना आवश्यक है चूंकि यह उसका जीवन बर्बाद करने से रोक सकता है।1986 के कानून की धारा 18 किशोर की जमानत व हिरासत से निपटती है और उसे नीचे दिया गया है।(1) जब कोई जमानती या और जमानती अपराध का आरोपी हो अगर किसी किशोर को गिरफ्तार करके किशोर न्यायालय के समक्ष पेश को गिरफ्तार करके किशोर न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए तो ऐसे व्यक्ति को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) या किसी अन्य किसी कानून में दिए किसी भी प्रावधान को बिना माने, मुचलके के साथ या बिना जमानत पर छोड़ दिया जाएगा पर यदि कोई पुख्ता आधार हो कि उसके छूटने से वह किसी जाने माने अपराधी के संपर्क में आ सकता है या उसे नैतिक खतरे हो सकते हैं या उसे छोड़ना न्याय के विरूद्ध होगा तो उसे नहीं छोड़ा जाएगा।(2) जब ऐसे किसी गिरफ़्तारी व्यक्ति को उपधारा (1) के अंतर्गत नहीं छोड़ा जाता तो पुलिस थाने का प्रभारी अधिकारी उसे निगरानी गृह या ऐसी किसी अन्य सुरक्षित जगह रखे जाने की व्यवस्था करेगा, जो मान्य हो (पर पुलिस थाने या जेल में नहीं) जबतक कि उसे किसर न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया जाता।(3) जब ऐसा कोई उप धारा (1) के अंतर्गत किशोर न्यायालय द्वारा जमानत पर नहीं छोड़ा जाता तो उसे जेल भेजने के बजाय, न्यायालय उसे निगरानी गृह या किसी सुरक्षित स्थान पर तब तक के लिए भेजने का आदेश देगी जब तक उसके मामले की जाँच जारी रहेगी।इसलिए, 1986 के कानून के अंतर्गत भी किसर नयायालय के लिए भी किशोर को कुछ खास बताई गई स्थितियों के अलावा, जमानत पर छोड़ना अनिवार्य था। यह प्रावधान यह भी स्पष्ट करता है कि किशोर को किसी भी हाल में पुलिस लॉक - अप या जेल में नहीं रखा जा सकता। 2000 के कानून में भी ऐसा ही प्रावधान है जमानत के लिए जिसमें छोटे सुधार किए गए हैं, जैसे, (1) किसी किशोर को जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता यदि ऐसा छोड़ा जाना उसे नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में डालता हो और (2) पुलिस द्वारा ऐसे किशोर को निगरानी गृह में छोड़ा जाना अनिवार्य हो न कि सुरक्षित स्थान पर।जमानत के प्रावधान कागजों पर ही रह गए: सच्चाई इससे काफी अलग थी, किशोरों की एक बड़ी संख्या को या तो जमानत मिली ही नहीं या फिर वे जमानत ले नहीं पाए क्योंकि बोर्ड काफी रूढ़िवादी थे और किशोर कानून के मूलतत्व को नन्हीं समझते थे। हालांकि जमानत अनिवार्य था पर फिर भी नहीं दिया गया ऐसे आधार, पर जैसे अपराध की गंभीरता या यह मान्यता होना कि किशोर भाग जाएगा, जो कि वयस्कों के मामलों में लागू होते हैं पर किशोरों के मामलों ने नहीं। इसके अलावा, किशोर न्यायालय या किशोर न्याय बोर्ड, जमानत का आदेश देते वक्त यह शर्त रखते थे कि किशोर मुचलके के तौर पर बड़ी रकम रखे। हालाँकि कानून कहता है। कि “मुचलके के साथ या बगैर” चूंकि ज्यादातर किशोरों के परिवार या संस्थागत सहयोग नहीं होते, वे मुचलका देने के लिए किसी व्यक्ति को नहीं ढूंढ पाते और इसलिए जमानत हासिल नहीं कर पाते, इसके अलावा, बोर्ड इस बात पर जोर देते हैं कि किशोर के माता-पिता या अभिभावक जमानत की अर्जी दें अरु जमानत पर छोड़े जाने पर किशोर की जिम्मेदारी लें, और जिनके पास दोंनो में से कोई नहीं होते इस अनिवार्य प्रावधान को हासिल नहीं कर सकते है, कुछ किशोर जिनके पास पारिवरिक सहयोग होता है वे जमानत इसलिए नहीं ले पाते क्योंकी उनेक पास वकील के सेवा लेने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं होते, इसलिए किशोर, निगरानी गृहों में अपनी जाँच पूरी होने तक पड़े रहते हैं, इस बात के बावजूद कि कानून उन्हें जल्द से जल्द जमानत पर छोड़ना चाहता है।इस विश्लेषण को नोट करते हुए 2000 के कानून में किए गए 2006 के संशोधनों द्वारा यह डाला गया है कि जब किशोर को जमानत पर रिहा किया जाए तो उसे “ निगरानी अधिकारी या किसी उपयुक्त संस्था या उपयुक्त व्यक्ति की देख रेख में रखा जा सकता है।”किशोर की जमानत(1) जब कोई व्यक्ति जो किसी जमानती या गैर जमानत अपराध का आरोपी हो, और किशोर हो और उसे बोर्ड के समक्ष पेश किया जाए तो उसे दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) या किसी अन्य कानून के अंतर्गत दिए प्रावधानों को न मानते हुए, जमानत पर मुचलके सहित या बगैर रिहा किया जाएगा और निगरानी अधिकारी या किसी उपयुक्त संस्था या व्यक्ति की देखरेख में रखा जाएगा पर अगर इस बात के पुख्ता आधार हो कि उसका छोड़ा जाना उसे किसी जाने माने अपराधी के संपर्क में ला सकता है या उसे नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरा हो सकता है या उसका छोड़ा जाना न्याय के विरूद्ध हो तो उसे रही नहीं किया जाएगा।(2) जब गिरफ्तार किया गया कोई ऐसा व्यक्ति उप धारा (1) के अंतर्गत पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी द्वारा छोड़ा नहीं जाता है तो वह अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे किशोर को सिर्फ किसी निगरानी गृह में रखा जाएगा जब तक कि उसे बोर्ड के समक्ष पेश नहीं किया जाता।(3) जब ऐसा कोई व्यक्ति बोर्ड द्वारा उप धारा (1) के अंतर्गत रिहा नहीं किया जाता तो बोर्ड उसे जेल में भेजने के बजाए उसे आदेश में दिए समय के लिए किसी निगरानी गृह या किसी सुरक्षित स्थान पर रखने के आदेश देगे जब तक कि उसकी जाँच चल रही होगी।” यह उम्मीद है कि संशोधन से ज्यादा बड़ी संख्या में किशोरों को जमानत पर छोड़ा जाएगा: वे जिनके माता – पिता, अभिभावक नहीं है या जो मुचलका नहीं दे सकते वे कानून में डाली गई इस ने हिस्से का फायदा उठा सकेंगे। कोई उपयुक्त संस्था या व्यक्ति जो किशोर का अस्थाई रूप से ध्यान रखने को तैयार हों वे जाँच के दौरान बोर्ड के समक्ष जमानत की अर्जी दे सकते हैं।किशोर न्याय को किशोर के लिए जमानत की अर्जी का इंतजार नहीं करना चाहिए, उन्हें उपयुक्त शर्तों पर खुद अपनी ओर से जमानत देना चाहिए।बीजिंग नियमों में यह प्रावधान है कि पेशी के दौरान “हिरासत को आखिरी विकल्प की तरह रखना चाहिए” और यह यथासंभव कम से कम समय के लिए होना चाहिए और “जब भी संभव हो, पेशी के दौरान हिरासत के बजाए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए, जैसे की कड़ी निगरानी, गंभीर देख रेख आ किसी परिवार में रखा जाना या किसी शैक्षणिक व्यवस्था या गृह में रखा जाना।” क्लोज 10.2 में बीजिंग नियम यह प्रावधान देते हैं की किसी किशोर की गिरफ्तारी होने पर किसी न्यायाधीश या किसी संस्था को देरी के बिना किशोर के छोड़े जाने के मुद्दे पर सोचना चाहिए।भारतीय न्यायालयों ने बार बार यह फैसले दिया है कि किशोरों सिर्फ तीन आधारों पर ही जमानत देने से इंकार किया जा सकता है, और अपराध की गंभीरता या अपराध के सबूत इसमें शामिल नहीं हैं।vnitakasniapunjab05114@gmail.com

धारा 377 आईपीसी (IPC Section 377 in Hindi प्रकॄति विरुद्ध अपराध By वनिता कासनियां पंजाबRead In Englishआईपीसी धारा-377धारा 377 का विवरणभारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अनुसार,जो भी कोई किसी पुरुष, स्त्री या जीवजन्तु के साथ प्रकॄति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छा पूर्वक संभोग करेगा तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। स्पष्टीकरण--इस धारा में वर्णित अपराध के लिए आवश्यक संभोग संस्थापित करने के लिए प्रवेशन पर्याप्त है। लागू अपराधप्रकॄति विरुद्ध अपराध अपराध जैसे अप्राकृतिक रूप से संभोग करना।सजा - आजीवन कारावास या दस वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।यह समझौता करने योग्य नहीं है। सेक्शन 377: प्रकृति विरुद्ध अपराधभारतीय दंड संहिता की धारा 377 "प्रकृति विरुद्ध अपराधों" से संबंधित औपनिवेशिक युग के कानून को संदर्भित करती है और एक ऐसे कानून के रूप में कार्य करती है जो "प्रकृति के कानून के खिलाफ" यौन गतिविधियों को अपराधी बनाती है। यह कानून एक पुरातन और प्रतिगामी कानून के रूप में माना जाता है, कार्यकर्ता और एल.जी.बी.टी. (लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर) समुदाय के सदस्य 2001 से अदालतों में इस समलैंगिकता विरोधी कानून को खत्म करने के लिए लड़ रहे थे।जनवरी 2017 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय पीठ ने धारा 377 के समलैंगिकता के अपराधीकरण के 2013 के फैसले के पुनरीक्षण में धारा 377 को रद्द करने के लिए याचिकाओं पर सुनवाई करने का फैसला किया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने इसकी शुरुआत की। धारा 377 क्या कहता है?भारतीय दंड संहिता की धारा 377 में लिखा है, "जिसने भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ प्रकृति के आदेश के खिलाफ संभोग किया है, उसे आजीवन कारावास, या किसी ऐसे विवरण के लिए कारावास के साथ दंडित किया जाएगा जो दस साल तक बढ़ सकता है। और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा। " जबकि कानून स्पष्ट रूप से एल.जी.बी.टी. का उल्लेख नहीं करता है, हालाँकि "समान प्रकृति के विरुद्ध" का उल्लेख समान लिंग वाले यौन संबंधों के लिए किया गया है। क्या धारा 377 केवल समलैंगिकों से संबंधित है?भारतीय दंड संहिता की धारा 377 में लिखा है, "जिसने भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ प्रकृति के आदेश के खिलाफ संभोग किया है, उसे आजीवन कारावास, या किसी ऐसे विवरण के लिए कारावास के साथ दंडित किया जाएगा जो दस साल तक बढ़ सकता है। और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा। " जबकि कानून स्पष्ट रूप से एल.जी.बी.टी. का उल्लेख नहीं करता है, हालाँकि "समान प्रकृति के विरुद्ध" का उल्लेख समान लिंग वाले यौन संबंधों के लिए किया गया है। क्या धारा 377 केवल समलैंगिकों से संबंधित है?यदि सीधे शब्दों में कहें तो, नहीं। जबकि धारणा यह है कि धारा 377 केवल समलैंगिकों को प्रभावित करती है, कानून राज्य को विषमलैंगिक यौन संबंध के मामलों पर भी हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है। इस तथ्य को देखते हुए कि अधिनियम में "प्रकृति के कानून के खिलाफ" के निहितार्थों में निजी तौर पर मौखिक और गुदा सेक्स की सहमति से होने वाली यौन गतिविधियां शामिल हैं, धारा राज्य को विषमलैंगिकों के बीच निजी सहमति से काम करने का अधिकार देती है। एल.जी.बी. टी. और मानवाधिकार कार्यकर्ता धारा 377 को निरसन क्यों करवाना चाहते थे?विरोधी धारा 377 कार्यकर्ताओं के तर्क का आधार मौलिक अधिकारों, समानता और एकान्तता के संवैधानिक रूप से निहित सिद्धांतों पर आधारित है।पिछली याचिकाओं में, कार्यकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से "लैंगिकता का अधिकार", "यौन स्वायत्तता का अधिकार" और "यौन साथी की पसंद का अधिकार" घोषित करने के लिए भारतीय संविंधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार का हिस्सा बनने की प्रार्थना की थी। उन्होंने शीर्ष अदालत से भारतीय दंड संहिता की धारा 377, 1860 को असंवैधानिक घोषित करने की भी प्रार्थना की है। धारा 377 में वकील की जरुरत क्यों होती है?भारतीय दंड संहिता में धारा 377 का अपराध एक बहुत ही संगीन और गैर जमानती अपराध होता है, जिसमें आजीवन कारावास की सजा तक का प्रावधान दिया है, इस अपराध में एक अपराधी को अधिकतम 10 बर्षों तक के कारावास की सजा भी सुनाई जा सकती है। कारावास के दंड के साथ - साथ इस धारा में आर्थिक दंड का भी प्रावधान दिया गया है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आई. पी. सी. में कुछ ही अपराध ऐसे हैं, जिनमें आजीवन कारावास की सजा तक सुनाई जाती है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और प्रकॄति विरुद्ध अपराध जैसे बड़े मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 377 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।Section 377 IPC (IPC Section 377 in Hindi for offenses against nature)By Vanitha Kasniya PunRead In EngliDescription of sectiAccording to section 377 of the Indian penal codwhoever any man, womane,on 377shjabane,on 377shjab

जमानत के लिए डॉक्यूमेंट? जमानत के लिए जरुरी दस्तावेज ? By वनिता कासनियां पंजाब जमानत के लिए डॉक्यूमेंट (Jamanat Ke Liye Document), जमानत के लिए जरुरी दस्तावेज, कोई भी मनुष्य जन्म से अपराधी नहीं होता मनुष्य के जीवन में कभी कभी ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि उसको ऐसा करना पड़ता है या फिर कोई दुर्घटना और सहयोग से ऐसा कुछ हो जाता है कि उसको अपराध करना पड़ जाता है। जमानत के लिए क्या चाहिए।जमानत के लिए डॉक्यूमेंट (Jamanat Ke Liye Document)?जमानत के लिए डॉक्यूमेंटजमानत के लिए डॉक्यूमेंटअपराध करने के बाद उसके ऊपर आरोप सिद्ध होने पर उसको सजा दी जाती है जिस तरह का राज किया गया है हमारे संविधान में हर अपराध के लिए अलग-अलग तरह की सजा का प्रावधान है जब उस अपराधी का केस चलता है तो उसके लिए उसको एक वकील लेना पड़ता है या फिर उसके परिवार वाले कुछ किसके लिए एक वकील को हायर करते हैं।जब तक यह केस चलता है तब तक उसके परिवार वाले बहुत चिंतित रहते हैं और यह सोचते हैं कि अपराध किस परिस्थिति में हुआ होगा और कैसे हुआ होगा और तब तक उसको कारागार में रखा जाता है ऐसे में अपराधी की मानसिक स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है।ऐसे में उनके परिवार वाले यह चाहते हैं कि जब तक किस का कोई निर्णय नहीं होता है उसके बीच में की जमानत के लिए एक याचिका दायर की जाती है और याचिका दायर होने पर जज के सामने तथ्य रखे जाते हैं।जिसके आधार पर जज उसकी याचिका मंजूर करता है या फिर निरस्त कर देता है जमानत के लिए उसके परिवार वालों को डाक्यूमेंट्स की जानकारी के लिए बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं सही से जानकारी नहीं मिलने पर उनको बहुत परेशानी होती है और भागदौड़ भी ज्यादा होती हैं।जमानत के लिए जरूरी डॉक्यूमेंटआधार कार्ड की फोटो कॉपीएक पासपोर्ट साइज फोटोयह जरूरी डाक्यूमेंट्स है जो आपको देने होते हैं और आगे की प्रक्रिया आपका वकील यदि आपने कर रखा है तो वह आगे का प्रोसेस करता है और यदि आपने वकील नहीं किया है तो आपको वकील से मिलना होगा और वकील को यह दस्तावेज देने होंगे।इन दस्तावेज के आधार पर वकील आप की जमानत की याचिका को दायर करता है और जमानत के लिए जो भी कागज कोर्ट में बनने होते हैं वह उसका प्रोसेस करता है।

भारत दण्ड संहिताबाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबआपराधिक कृत्यों के लिये भारत संहिताकिसी अन्य भाषा में पढ़ेंPDF डाउनलोड करेंध्यान रखेंसंपादित करेंभारत दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में भी अबभारत दण्ड संहिता (IPC) लागू है।भारत दण्ड संहिता, 1860भारत के लिए एक सामान्य दण्ड संहिता प्रदान करने के लिए एक अधिनियमशीर्षकAct No. 45 of 1860प्रादेशिक सीमा भारतद्वारा अधिनियमितशाही विधान परिषदअधिनियमित करने की तिथि6 अक्टूबर 1860अनुमति-तिथि6 अक्टूबर 1860शुरूआत-तिथि1 जनवरी 1862समिति की रिपोर्टपहला कानून आयोगसंशोधनदेखें संशोधनसंबंधित कानूनदण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (भारत)Status: मूलतः संसोधितभारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।अध्याय 1 संपादित करेंउद्देशिका संपादित करेंधारा 1 संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तारयह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा, औरउद्देशिकाउद्देशिका भारत पर होगा । (निरस्त किया जा चुका है।)अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर भारतीये दंड संहिता संपूर्ण भारत पर लागू होगा जिसमे जम्मू और कश्मीर कि केंद्र शासित प्रदेश भी शामिल है |[1] संविधान के अनुसूची 5 के तहत 109 क़ानून अब जम्मू और कश्मीर पर भी लागु होगा जिसमे भारतीये दंड संहिता के साथ साथ हिन्दू विवाह अधिनियम , व और भी क़ानून है|धारा 2 भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्डहर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं ।धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दंडभारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था ।धारा 4 राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तारइस संहिता के उपबंध -(1) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा ;(2) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध को भी लागू हैस्पष्टीकरण - इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दंडनीय होता ।दृष्टांतक. जो भारत का नागरिक है उगांडा में हत्या करता है । वह भारत के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्द किया जा सकता है ।धारा 5 कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जानाइस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन को दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों, पर प्रभाव नहीं डालेगी ।अध्याय 2 संपादित करेंसाधारण स्पष्टीकरणIधारा 6 संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जानाइस संहिता में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दण्ड उपबन्ध और हर ऐसी परिभाषा या दण्ड उपबन्ध का हर दृष्टान्त, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दण्ड उपबन्ध या दृष्टान्त में दुहराया न गया हो ।दृष्टांत : (क) इस संहिता की वे धाराएँ, जिनमें अपराधों की परिभाषाएँ अन्तर्विष्ट हैं, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि सात वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किन्तु परिभाषाएँ उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी हैं जिसमें यह उपबन्धित है कि कोई बात, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है, अपराध नहीं है ।(ख) 'क' , एक पुलिस ऑफिसर, वारण्ट के बिना, 'य' को, जिसने हत्या की है, पकड़ लेता है । यहाँ 'क' सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह 'य' को पकड़ने के लिए विधि द्वारा आबद्ध था, और इसलिए यह मामला उस साधारण अपवाद के अन्तर्गत आ जाता है, जिसमें यह उपबन्धित है कि “कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो ।धारा 7 एक बार स्पष्टीकृत पद का भावहर पद, जिसका स्पष्टीकरण इस संहिता के किसी भाग में किया गया है, इस संहिता के हर भाग में उस स्पष्टीकरण के अनुरूप ही प्रयोग किया गया है ।धारा 8 लिंगपुलिंग वाचक शब्द जहाँ प्रयोग किए गए हैं, वे हर व्यक्ति के बारे में लागू हैं, चाहे नर हो या नारी ।धारा 9 वचनजब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, एकवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत बहुवचन आता है, और बहुवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत एकवचन आता है ।धारा 10 पुरूष, स्त्री“पुरुष” शब्द किसी भी आयु के मानव नर का द्योतक है ; “स्त्री” शब्द किसी भी आयु की मानव नारी का द्योतक है ।धारा 11 व्यक्तिकोई भी कम्पनी या संगम, या व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति” शब्द के अन्तर्गत आता है ।धारा 12 लोकलोक का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय “लोक” शब्द के अन्तर्गत आता है ।धारा 13 निरसित“क्वीन” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित ।धारा 14 सरकार का सेवक"सरकार का सेवक" शब्द सरकार के प्राधिकार के द्वारा या अधीन, भारत के भीतर उस रूप में बने रहने दिए गए, नियुक्त किए गए, या नियोजित किए गए किसी भी ऑफिसर या सेवक के द्योतक हैं ।धारा 15 निरसितब्रिटिश इण्डिया” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।धारा 16 निरसित“गवर्नमेंट आफ इण्डिया” की परिभाषा भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।धारा 17 सरकार“सरकार” केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का द्योतक है ।धारा 18 भारत“भारत” से भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है ।धारा 19 न्यायाधीश“न्यायाधीश” शब्द न केवल हर ऐसे व्यक्ति का द्योतक है, जो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित हो, किन्तु उस हर व्यक्ति का भी द्योतक है,जो किसी विधि कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दाण्डिक, अन्तिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अन्तिम हो जाए या ऐसा निर्णय, जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अन्तिम हो जाए, देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो,अथवा जो उस व्यक्ति निकाय में से एक हो, जो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ।दृष्टान्त (क) सन् 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर न्यायाधीश है ।(ख) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दण्ड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील होती हो या न होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है ।(ग) मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन वादों का विचारण करने की और अवधारण करने की शक्ति रखने वाली पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है ।(घ) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिनके लिए उसे केवल अन्य न्यायालय को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति प्राप्त है, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश नहीं है ।धारा 20 न्यायालय“न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या उस न्यायाधीश-निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश-निकाय न्यायिकत: कार्य कर रहा हो, द्योतक है ।दृष्टान्त :मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत[5], जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है ।धारा 21 लोक सेवक“लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति के द्योतक है जो एतस्मिन् पश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है,अर्थात् : 01 - पहले खण्ड का आलोप किया गया।02 - भारत की सेना, नौ सेना या वायु सेना का हर आयुक्त ऑफिसर ;03 - हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसे कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्यायनिर्णयिक कॄत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ;]04 - न्यायालय का हर ऑफिसर (जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है) जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपेर्ट करे, या कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे, या रखे, या किसी सम्पत्ति का भार सम्भाले या उस सम्पत्ति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करे, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो ;05 - किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी-सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य ;06 - हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा, कोई मामला या विषय, विनिश्चित या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो ;07 - हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण कर्ता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो ;08 - सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करे, अपराधों की इत्तिला दे, अप्राधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे, या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे ;09 - हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे, या 8[सरकार] के धन-सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या 8[सरकार] के धन सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे या रखे, या 8[सरकार] 3।।। धन-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके ;10 - हर ऑफिसर, जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे या व्यय करे, कोई सर्वेक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट या कर उद्गॄहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे या रखे ;11 - हर व्यक्ति जो कोई ऐसे पद धारण कर्ता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने, या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के लिए भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो ;12 - हर व्यक्ति, जो - (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो ;(ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो ।दृष्टांत :नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है ।स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं, चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं ।स्पष्टीकरण 2 - जहाँ कहीं “लोक सेवक” शब्द आएँ हैं, वे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जाएँगे जो लोक सेवक के पद को वास्तव में धारण किए हुए हों, चाहे उस पद को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो ।स्पष्टीकरण 3 - “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधायी, नगरपालिक या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते, चाहे वह कैसे ही स्वरूप का हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का द्योतक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में विहित की गई हो ।धारा 22 जंगम सम्पत्ति“जंगम सम्पत्ति” शब्दों से यह आशयित है कि इनके अन्तर्गत हर भाँति की मूर्त सम्पत्ति आती है, किन्तु भूमि और वे चीजें, जो भू-बद्ध हों या भू-बद्ध किसी चीज से स्थायी रूप से जकड़ी हुई हों, इनके अन्तर्गत नहीं आता ।धारा 23 सदोष अभिलाभसदोष अभिलाभसदोष हानिसदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठानाधारा 24 बेईमानी सेधारा 25 कपटपूर्वकधारा 26 विश्वास करने का कारणधारा 27 पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्तिधारा 28 कूटकरणधारा 29 दस्तावेजधारा 29 क इलेक्ट्रानिक अभिलेखधारा 30 मूल्यवान प्रतिभूतिधारा 31 बिलधारा 32 कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता हैधारा 33 कार्य, लोपधारा 34 सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्यधारा 35 जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या आशय से किया गया हैधारा 36 अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणामधारा 37 किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक को करके सहयोग करनाधारा 38 अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगेधारा 39 स्वेच्छयाधारा 40 अपराधधारा 41 विशेष विधिधारा 42 स्थानीय विधिधारा 43 अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्धधारा 44 क्षतिधारा 45 जीवनधारा 46 मृत्युधारा 47 जीव जन्तुधारा 48 जलयानधारा 49 वर्ष, मासधारा 50 धाराधारा 51 शपथधारा 52 सद्भावनापूर्वकधारा 52 क संश्रयअध्याय 3 अध्याय 4 संपादित करेंसाधारण अपवादधारा 76 विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यधारा 77 न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्यधारा 78 न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्यधारा 79 विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यधारा 80 विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटनाधारा 81 कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिये किया गया हैधारा 82 सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्यधारा 83 सात वर्ष से ऊपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्यधारा 84 विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्यधारा 85 ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ हैधारा 86 किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित हैधारा 87 सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान होधारा 88 किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं हैधारा 89 संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सद्भावनापूर्वक किया गया कार्यधारा 90 सम्मतिउन्मत्त व्यक्ति की सम्मतिशिशु की सम्मतिधारा 91 एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वतः अपराध हैधारा 92 सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्यधारा 93 सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचनाधारा 94 वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्धारा विवश किया गया हैधारा 95 तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्यनिजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय मेंधारा 96 निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातेंधारा 97 शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकारधारा 98 ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृत आदि होधारा 99 कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तारधारा 100 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता हैधारा 101 कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता हैधारा 102 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहनाधारा 103 कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता हैधारा 104 ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता हैधारा 105 सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहनाधारा 106 घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम हैअध्याय 5 संपादित करेंदुष्प्रेरण के विषय मेंधारा 107 किसी बात का दुष्प्रेरणधारा 108 दुष्प्रेरकधारा 108 क भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरणधारा 109 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं हैधारा 110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता हैधारा 111 दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया हैधारा 112 दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिये और किये गये कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय हैधारा 113 दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक दवारा आशयित से भिन्न होधारा 114 अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थितिधारा 115 मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण यदि अपराध नहीं किया जाता यदि अपहानि करने वाला कार्य परिणामस्वरूप किया जाता हैधारा 116 कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण अदि अपराध न किया जाए यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना होधारा 117 लोक साधारण दवारा या दस से अधिक व्यक्तियों दवारा अपराध किये जाने का दुष्प्रेरणधारा 118 मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाएधारा 119 किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य हैयदि अपराध कर दिया जाययदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय हैयदि अपराध नहीं किया जायधारा 120 कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपानायदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाएअध्याय 5 क संपादित करेंआपराधिक षडयन्त्रधारा 120 क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषाधारा 120 ख आपराधिक षडयंत्र का दण्डअध्याय 6 संपादित करेंराज्य के विरूद्ध अपराधों के विषय मेंधारा 121 भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करनाधारा 121 क धारा 121 दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्रधारा 122 भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करनाधारा 123 युद्ध करने की परिकल्पना को सफल बनाने के आशय से छुपानाधारा 124 किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करनाधारा 124 क राजद्रोहधारा 125 भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करनाधारा 126 भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करनाधारा 127 धारा 125 व 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करनाधारा 128 लोक सेवक का स्व ईच्छा राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देनाधारा 129 उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करनाधारा 130 ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुडाना या संश्रय देनाअध्याय 7 संपादित करेंसेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय मेंधारा 131 विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करनाधारा 132 विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।धारा 133 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी, जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।धारा 134 हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।धारा 135 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण।धारा 136 अभित्याजक को संश्रय देनाधारा 137 मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजकधारा 138 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण।धारा 138 क पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होनाधारा 139 कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति।धारा 140 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना।अध्याय 8 संपादित करेंसार्वजनिक शान्ति के विरुद्ध अपराधधारा 141 विधिविरुद्ध जनसमूह।धारा 142 विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना।धारा 143 गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंडधारा 144 घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना।धारा 145 किसी विधिविरुद्ध जनसमूह, जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।धारा 146 उपद्रव करनाधारा 147 बल्वा करने के लिए दण्डधारा 148 घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना।धारा 149 विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी।धारा 150 विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना।धारा 151 पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहनाधारा 152 लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना।धारा 153 उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करनाधारा 153 क धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।धारा 153 ख राष्ट्रीय अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यानधारा 154 उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर गैरकानूनी जनसमूह एकत्रित होधारा 155 व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्वधारा 156 उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता हैधारा 157 विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना।धारा 158 विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जानाधारा 159 दंगाधारा 160 उपद्रव करने के लिए दण्ड।अध्याय 9 संपादित करेंलोकसेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराधधारा 161 से 164 लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय मेंधारा 166 लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।धारा 166 क कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवकधारा 166 ख अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचारधारा 167 लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।धारा 168 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता हैधारा 169 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।धारा 170 लोक सेवक का प्रतिरूपण।धारा 171 कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।अध्याय 9 A संपादित करेंचुनाव सम्बन्धी अपराधधारा 171 A अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषितधारा 171 B रिश्वतधारा 171 C निर्वाचनों में असम्यक् असर डालनाधारा 171 D निर्वाचनों में प्रतिरूपणधारा 171 E रिश्वत के लिए दण्डधारा 171 F निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्डधारा 171 G निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथनधारा 171 H निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदायधारा 171 I निर्वाचन लेखा रखने में असफलताअध्याय १० संपादित करेंलोकसेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के विरुद्ध अवमाननाधारा १७२ समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जानाधारा १७३ समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना।धारा १७४ लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहनाधारा १७५ दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को १[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने का लोपधारा १७६ सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।धारा १७७ झूठी सूचना देना।धारा १७८ शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाएधारा १७९ प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना।धारा १८० कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकारधारा १८१ शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।धारा १८२ लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देनाधारा १८३ लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोधधारा १८४ लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।धारा १८५ लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।धारा १८६ लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।धारा १८७ लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध होधारा १८८ लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।धारा १८९ लोक सेवक को क्षति करने की धमकीधारा १९० लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी।अध्याय ११ संपादित करेंझूठा साक्ष्य तथा लोकन्याय के विरुद्ध अपराधधारा १९१ झूठा साक्ष्य देना।धारा १९२ झूठा साक्ष्य गढ़ना।धारा १९३ मिथ्या साक्ष्य के लिए दंडधारा १९४ मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना।धारा १९५ आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़नाधारा १९६ उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात हैधारा १९७ मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करनाधारा १९८ प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना।धारा १९९ विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन।धारा २०० ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना।धारा २०१ अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना।धारा २०२ सूचना देने के लिए आबद्ध व्यक्ति द्वारा अपराध की सूचना देने का साशय लोप।धारा २०३ किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देनाधारा २०४ साक्ष्य के रूप में किसी ३[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] का पेश किया जाना निवारित करने के लिए उसको नष्ट करनाधारा २०५ वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपणधारा २०६ संपत्ति को समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से निवारित करने के लिए उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपानाधारा २०७ संपत्ति पर उसके जब्त किए जाने या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से बचाने के लिए कपटपूर्वक दावा।धारा २०८ ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करनाधारा २०९ बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करनाधारा २१० ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं है कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करनाधारा २११ क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप।धारा २१२ अपराधी को संश्रय देना।धारा २१३ अपराधी को दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेनाधारा २१४ अपराधी के प्रतिच्छादन के प्रतिफलस्वरूप उपहार की प्रस्थापना या संपत्ति का प्रत्यावर्तनधारा २१५ चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेनाधारा २१६ ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है।धारा २१६क लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्तिधारा २१६ख धारा २१२, धारा २१६ और धारा २१६क में संश्रय की परिभाषाधारा २१७ लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञाधारा २१८ किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचनाधारा २१९ न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जानाधारा २२० प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगीधारा २२१ पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोपधारा २२२ दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोपधारा २२३ लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना।धारा २२४ किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।धारा २२५ किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधाधारा २२५ क उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करनाधारा २२५ ख अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ानाधारा २२६ निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी।धारा २२७ दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमणधारा २२८ न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्नधारा २२८क कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरणधारा २२९ जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण।अध्याय १२ संपादित करेंसिक्के तथा सरकारी स्टाम्प से सम्बन्धित अपराधधारा २३० सिक्का की परिभाषाधारा २३१ सिक्के का कूटकरणधारा २३२ भारतीय सिक्के का कूटकरणधारा २३३ सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचनाधारा २३४ भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचनाधारा २३५ सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखनाधारा २३६ भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरणधारा २३७ कूटकॄत सिक्के का आयात या निर्यातधारा २३८ भारतीय सिक्के की कूटकॄतियों का आयात या निर्यातधारा २३९ सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात थाधारा २४० उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात थाधारा २४१ किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकॄत होना नहीं जानता थाधारा २४२ कूटकॄत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकॄत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया थाधारा २४३ भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया थाधारा २४४ टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत हैधारा २४५ टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेनाधारा २४६ कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करनाधारा २४७ कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करनाधारा २४८ इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाएधारा २४९ इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाएधारा २५० ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया हैधारा २५१ भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया हैधारा २५२ ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आयाधारा २५३ ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आयाधारा २५४ सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता थाधारा २५५ सरकारी स्टाम्प का कूटकरणधारा २५६ सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखनाधारा २५७ सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचनाधारा २५८ कूटकॄत सरकारी स्टाम्प का विक्रयधारा २५९ सरकारी कूटकॄत स्टाम्प को कब्जे में रखनाधारा २६० किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकॄत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लानाधारा २६१ इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया हैधारा २६२ ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका हैधारा २६३ स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटानाधारा २६३क बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघअध्याय १३ संपादित करेंमाप और तौल से सम्बन्धित अपराधधारा २६४ तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोगधारा २६५ खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोगधारा २६६ खोटे बाट या माप को कब्जे में रखनाधारा २६७ खोटे बाट या माप का बनाना या बेचनाअध्याय १४ संपादित करेंलोक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा आदि से सम्बन्धित अपराधधारा २६८ लोक न्यूसेन्सधारा २६९ उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य होधारा २७० परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य होधारा २७१ करन्तीन के नियम की अवज्ञाधारा २७२ विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।धारा २७३ अपायकर खाद्य या पेय का विक्रयधारा २७४ औषधियों का अपमिश्रणधारा २७५ अपमिश्रित ओषधियों का विक्रयधारा २७६ ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रयधारा २७७ लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करनाधारा २७८ वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनानाधारा २७९ सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकनाधारा २८० जलयान का उतावलेपन से चलानाधारा २८१ भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शनधारा २८२ अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहणधारा २८३ लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।धारा २८४ विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८५ अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।धारा २८६ विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८७ मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८८ किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८९ जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।धारा २९० अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।धारा २९१ न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखनाधारा २९२ अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।धारा २९२ क ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से अश्लील सामग्री प्रिन्ट करनाधारा २९३ तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदिधारा २९४ अश्लील कार्य और गानेधारा २९४ क लाटरी कार्यालय रखनाअध्याय १५ संपादित करेंधर्म से सम्बन्धित अपराधधारा २९५ किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।धारा २९६ धार्मिक जमाव में विघ्न करनाधारा २९७ कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करनाधारा २९८ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि।अध्याय 16 संपादित करेंमानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधृधारा 299 आपराधिक मानव वधधारा 300 हत्याधारा 301 जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना।धारा 302 हत्या के लिए दण्डधारा 303 आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड।धारा 304 हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्डधारा 304 क उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करनाधारा 304 ख दहेज मॄत्युधारा 305 शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण।धारा 306 आत्महत्या का दुष्प्रेरणधारा 307 हत्या करने का प्रयत्नधारा 308 गैर इरादतन हत्या करने का प्रयासधारा 309 आत्महत्या करने का प्रयत्न।धारा 310 ठग।धारा 311 ठगी के लिए दण्ड।धारा 312 गर्भपात कारित करना।धारा 313 स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना।धारा 314 गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मॄत्यु।धारा 315 शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।धारा 316 ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।धारा 317 शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना।धारा 318 मॄत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपानाधारा 319 क्षति पहुँचाना।धारा 320 घोर आघात।धारा 321 स्वेच्छया उपहति कारित करनाधारा 322 स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 323 जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड, यह एक असंज्ञेय अपराध है तथा पुलिस द्वारा जमानतीय है ।धारा 324 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करनाधारा 325 स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्डधारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।धारा 326 क एसिड हमलेधारा 326 ख एसिड हमला करने का प्रयासधारा 327 संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।धारा 328 अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।धारा 329 सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 330 संस्वीकॄति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना।धारा 331 संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 332 लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचानाधारा 333 लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।धारा 334 प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करनाधारा 335 प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 336 दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।धारा 337 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करनाधारा 338 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करनाधारा 339 सदोष अवरोध।धारा 340 सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।धारा 341 सदोष अवरोध के लिए दण्डधारा 342 ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड।धारा 343 तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।धारा 344 दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।धारा 345 ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका हैधारा 346 गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।धारा 347 सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।धारा 348 संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोधधारा 349 बल।धारा 350 आपराधिक बलधारा 351 हमला।धारा 352 गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्डधारा 353 लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 354 स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 354 क यौन उत्पीड़नधारा 354 ख एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्यधारा 354 ग छिप कर देखनाधारा 354 घ पीछाधारा 355 गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 356 हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।धारा 357 किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।धारा 358 गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 359 व्यपहरणधारा 360 भारत में से व्यपहरण।धारा 361 विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरणधारा 362 अपहरण।धारा 363 व्यपहरण के लिए दण्डधारा 363 क भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरणधारा 364 हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।धारा 364क फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण।धारा 365 किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।धारा 366 विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।धारा 366 क अप्राप्तवय लड़की का उपापनधारा 366 ख विदेश से लड़की का आयात करनाधारा 367 व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।धारा 368 व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ैद करना।धारा 369 दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरणधारा 370 मानव तस्करी दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।धारा 371 दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।धारा 372 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।धारा 373 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।धारा 374 विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम।धारा 375 बलात्संगधारा 376 बलात्कार के लिए दण्डधारा 376 क पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्रधारा 376 ख लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोगधारा 376 ग जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोगधारा 376 घ अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोगधारा 376 (E) पुनरावृति अपराधियों के लिए सजा की व्यवस्थाधारा 377 प्रकॄति विरुद्ध अपराधअध्याय १७ अध्याय १९ संपादित करेंसेवा-संविदा का आपराधिक भंजनधारा ४९० समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंगधारा ४९१ असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंगधारा ४९२ दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है।अध्याय २० संपादित करेंविवाह से सम्बन्धित अपराधधारा ४९३ विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।धारा ४९४ पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करनाधारा ४९५ वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है।धारा ४९६ विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।धारा ४९७ व्यभिचारधारा ४९८ विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखनाअध्याय २० क संपादित करेंपति या पति के सम्बन्धियों द्वारा निर्दयताधारा 498 क किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करनाअध्याय 21 संपादित करेंमानहानिधारा 499 मानहानिधारा 500 मानहानि के लिए दण्ड।धारा 501 मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।धारा 502 मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।अध्याय 22 संपादित करेंआपराधिक अभित्रास, अपमान एवं रिष्टिकरणधारा 503 आपराधिक अभित्रास।धारा 504 शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करनाधारा 505 लोक रिष्टिकारक वक्तव्य।धारा 506 धमकानाधारा 507 अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास।धारा 508 व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्यधारा 509 शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित हैधारा 510 शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार।अध्याय २३ संपादित करेंअपराध करने के प्रयत्नधारा ५११ आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्डसंशोधन संपादित करेंइस संहिता में अनेकों बार संशोधन हुए हैं।[2][3]दण्ड संहिता बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब आपराधिक कृत्यों के लिये भारत संहिता किसी अन्य भाषा में पढ़ें PDF डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें भारत दण्ड संहकिये गये कुछ अपराधोंप्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में भी अबभारत दण्ड संहिता (IPC) लागू है।भारत दण्ड संहिता, 1860भारत के लिए एक सामान्य दण्ड संहिता प्रदान करने के लिए एक अधिनियमशीर्षकAct No. 45 of 1860प्रादेशिक सीमा भारतद्वारा अधिनियमितशाही विधान परिषदअधिनियमित करने की तिथि6 अक्टूबर 1860अनुमति-तिथि6 अक्टूबर 1860शुरूआत-तिथि1 जनवरी 1862समिति की रिपोर्टपहला कानून आयोगसंशोधनदेखें संशोधनसंबंधित कानूनदण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (भारत)Status: मूलतः संसोधितभारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।अध्याय 1 संपादित करेंउद्देशिका संपादित करेंधारा 1 संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तारयह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा, औरउद्देशिकाउद्देशिका भारत पर होगा । (निरस्त किया जा चुका है।)अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर भारतीये दंड संहिता संपूर्ण भारत पर लागू होगा जिसमे जम्मू और कश्मीर कि केंद्र शासित प्रदेश भी शामिल है |[1] संविधान के अनुसूची 5 के तहत 109 क़ानून अब जम्मू और कश्मीर पर भी लागु होगा जिसमे भारतीये दंड संहिता के साथ साथ हिन्दू विवाह अधिनियम , व और भी क़ानून है|धारा 2 भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्डहर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं ।धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दंडभारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था ।धारा 4 राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तारइस संहिता के उपबंध -(1) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा ;(2) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध को भी लागू हैस्पष्टीकरण - इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दंडनीय होता ।दृष्टांतक. जो भारत का नागरिक है उगांडा में हत्या करता है । वह भारत के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्द किया जा सकता है ।धारा 5 कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जानाइस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन को दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों, पर प्रभाव नहीं डालेगी ।अध्याय 2 संपादित करेंसाधारण स्पष्टीकरणIधारा 6 संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जानाइस संहिता में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दण्ड उपबन्ध और हर ऐसी परिभाषा या दण्ड उपबन्ध का हर दृष्टान्त, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दण्ड उपबन्ध या दृष्टान्त में दुहराया न गया हो ।दृष्टांत : (क) इस संहिता की वे धाराएँ, जिनमें अपराधों की परिभाषाएँ अन्तर्विष्ट हैं, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि सात वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किन्तु परिभाषाएँ उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी हैं जिसमें यह उपबन्धित है कि कोई बात, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है, अपराध नहीं है ।(ख) 'क' , एक पुलिस ऑफिसर, वारण्ट के बिना, 'य' को, जिसने हत्या की है, पकड़ लेता है । यहाँ 'क' सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह 'य' को पकड़ने के लिए विधि द्वारा आबद्ध था, और इसलिए यह मामला उस साधारण अपवाद के अन्तर्गत आ जाता है, जिसमें यह उपबन्धित है कि “कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो ।धारा 7 एक बार स्पष्टीकृत पद का भावहर पद, जिसका स्पष्टीकरण इस संहिता के किसी भाग में किया गया है, इस संहिता के हर भाग में उस स्पष्टीकरण के अनुरूप ही प्रयोग किया गया है ।धारा 8 लिंगपुलिंग वाचक शब्द जहाँ प्रयोग किए गए हैं, वे हर व्यक्ति के बारे में लागू हैं, चाहे नर हो या नारी ।धारा 9 वचनजब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, एकवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत बहुवचन आता है, और बहुवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत एकवचन आता है ।धारा 10 पुरूष, स्त्री“पुरुष” शब्द किसी भी आयु के मानव नर का द्योतक है ; “स्त्री” शब्द किसी भी आयु की मानव नारी का द्योतक है ।धारा 11 व्यक्तिकोई भी कम्पनी या संगम, या व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति” शब्द के अन्तर्गत आता है ।धारा 12 लोकलोक का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय “लोक” शब्द के अन्तर्गत आता है ।धारा 13 निरसित“क्वीन” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित ।धारा 14 सरकार का सेवक"सरकार का सेवक" शब्द सरकार के प्राधिकार के द्वारा या अधीन, भारत के भीतर उस रूप में बने रहने दिए गए, नियुक्त किए गए, या नियोजित किए गए किसी भी ऑफिसर या सेवक के द्योतक हैं ।धारा 15 निरसितब्रिटिश इण्डिया” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।धारा 16 निरसित“गवर्नमेंट आफ इण्डिया” की परिभाषा भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।धारा 17 सरकार“सरकार” केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का द्योतक है ।धारा 18 भारत“भारत” से भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है ।धारा 19 न्यायाधीश“न्यायाधीश” शब्द न केवल हर ऐसे व्यक्ति का द्योतक है, जो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित हो, किन्तु उस हर व्यक्ति का भी द्योतक है,जो किसी विधि कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दाण्डिक, अन्तिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अन्तिम हो जाए या ऐसा निर्णय, जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अन्तिम हो जाए, देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो,अथवा जो उस व्यक्ति निकाय में से एक हो, जो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ।दृष्टान्त (क) सन् 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर न्यायाधीश है ।(ख) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दण्ड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील होती हो या न होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है ।(ग) मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन वादों का विचारण करने की और अवधारण करने की शक्ति रखने वाली पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है ।(घ) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिनके लिए उसे केवल अन्य न्यायालय को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति प्राप्त है, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश नहीं है ।धारा 20 न्यायालय“न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या उस न्यायाधीश-निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश-निकाय न्यायिकत: कार्य कर रहा हो, द्योतक है ।दृष्टान्त :मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत[5], जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है ।धारा 21 लोक सेवक“लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति के द्योतक है जो एतस्मिन् पश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है,अर्थात् : 01 - पहले खण्ड का आलोप किया गया।02 - भारत की सेना, नौ सेना या वायु सेना का हर आयुक्त ऑफिसर ;03 - हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसे कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्यायनिर्णयिक कॄत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ;]04 - न्यायालय का हर ऑफिसर (जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है) जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपेर्ट करे, या कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे, या रखे, या किसी सम्पत्ति का भार सम्भाले या उस सम्पत्ति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करे, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो ;05 - किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी-सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य ;06 - हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा, कोई मामला या विषय, विनिश्चित या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो ;07 - हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण कर्ता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो ;08 - सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करे, अपराधों की इत्तिला दे, अप्राधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे, या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे ;09 - हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे, या 8[सरकार] के धन-सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या 8[सरकार] के धन सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे या रखे, या 8[सरकार] 3।।। धन-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके ;10 - हर ऑफिसर, जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे या व्यय करे, कोई सर्वेक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट या कर उद्गॄहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे या रखे ;11 - हर व्यक्ति जो कोई ऐसे पद धारण कर्ता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने, या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के लिए भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो ;12 - हर व्यक्ति, जो - (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो ;(ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो ।दृष्टांत :नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है ।स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं, चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं ।स्पष्टीकरण 2 - जहाँ कहीं “लोक सेवक” शब्द आएँ हैं, वे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जाएँगे जो लोक सेवक के पद को वास्तव में धारण किए हुए हों, चाहे उस पद को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो ।स्पष्टीकरण 3 - “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधायी, नगरपालिक या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते, चाहे वह कैसे ही स्वरूप का हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का द्योतक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में विहित की गई हो ।धारा 22 जंगम सम्पत्ति“जंगम सम्पत्ति” शब्दों से यह आशयित है कि इनके अन्तर्गत हर भाँति की मूर्त सम्पत्ति आती है, किन्तु भूमि और वे चीजें, जो भू-बद्ध हों या भू-बद्ध किसी चीज से स्थायी रूप से जकड़ी हुई हों, इनके अन्तर्गत नहीं आता ।धारा 23 सदोष अभिलाभसदोष अभिलाभसदोष हानिसदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठानाधारा 24 बेईमानी सेधारा 25 कपटपूर्वकधारा 26 विश्वास करने का कारणधारा 27 पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्तिधारा 28 कूटकरणधारा 29 दस्तावेजधारा 29 क इलेक्ट्रानिक अभिलेखधारा 30 मूल्यवान प्रतिभूतिधारा 31 बिलधारा 32 कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता हैधारा 33 कार्य, लोपधारा 34 सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्यधारा 35 जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या आशय से किया गया हैधारा 36 अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणामधारा 37 किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक को करके सहयोग करनाधारा 38 अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगेधारा 39 स्वेच्छयाधारा 40 अपराधधारा 41 विशेष विधिधारा 42 स्थानीय विधिधारा 43 अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्धधारा 44 क्षतिधारा 45 जीवनधारा 46 मृत्युधारा 47 जीव जन्तुधारा 48 जलयानधारा 49 वर्ष, मासधारा 50 धाराधारा 51 शपथधारा 52 सद्भावनापूर्वकधारा 52 क संश्रयअध्याय 3 अध्याय 4 संपादित करेंसाधारण अपवादधारा 76 विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यधारा 77 न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्यधारा 78 न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्यधारा 79 विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यधारा 80 विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटनाधारा 81 कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिये किया गया हैधारा 82 सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्यधारा 83 सात वर्ष से ऊपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्यधारा 84 विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्यधारा 85 ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ हैधारा 86 किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित हैधारा 87 सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान होधारा 88 किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं हैधारा 89 संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सद्भावनापूर्वक किया गया कार्यधारा 90 सम्मतिउन्मत्त व्यक्ति की सम्मतिशिशु की सम्मतिधारा 91 एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वतः अपराध हैधारा 92 सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्यधारा 93 सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचनाधारा 94 वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्धारा विवश किया गया हैधारा 95 तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्यनिजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय मेंधारा 96 निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातेंधारा 97 शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकारधारा 98 ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृत आदि होधारा 99 कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तारधारा 100 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता हैधारा 101 कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता हैधारा 102 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहनाधारा 103 कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता हैधारा 104 ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता हैधारा 105 सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहनाधारा 106 घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम हैअध्याय 5 संपादित करेंदुष्प्रेरण के विषय मेंधारा 107 किसी बात का दुष्प्रेरणधारा 108 दुष्प्रेरकधारा 108 क भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरणधारा 109 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं हैधारा 110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता हैधारा 111 दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया हैधारा 112 दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिये और किये गये कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय हैधारा 113 दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक दवारा आशयित से भिन्न होधारा 114 अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थितिधारा 115 मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण यदि अपराध नहीं किया जाता यदि अपहानि करने वाला कार्य परिणामस्वरूप किया जाता हैधारा 116 कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण अदि अपराध न किया जाए यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना होधारा 117 लोक साधारण दवारा या दस से अधिक व्यक्तियों दवारा अपराध किये जाने का दुष्प्रेरणधारा 118 मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाएधारा 119 किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य हैयदि अपराध कर दिया जाययदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय हैयदि अपराध नहीं किया जायधारा 120 कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपानायदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाएअध्याय 5 क संपादित करेंआपराधिक षडयन्त्रधारा 120 क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषाधारा 120 ख आपराधिक षडयंत्र का दण्डअध्याय 6 संपादित करेंराज्य के विरूद्ध अपराधों के विषय मेंधारा 121 भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करनाधारा 121 क धारा 121 दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्रधारा 122 भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करनाधारा 123 युद्ध करने की परिकल्पना को सफल बनाने के आशय से छुपानाधारा 124 किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करनाधारा 124 क राजद्रोहधारा 125 भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करनाधारा 126 भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करनाधारा 127 धारा 125 व 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करनाधारा 128 लोक सेवक का स्व ईच्छा राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देनाधारा 129 उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करनाधारा 130 ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुडाना या संश्रय देनाअध्याय 7 संपादित करेंसेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय मेंधारा 131 विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करनाधारा 132 विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।धारा 133 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी, जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।धारा 134 हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।धारा 135 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण।धारा 136 अभित्याजक को संश्रय देनाधारा 137 मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजकधारा 138 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण।धारा 138 क पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होनाधारा 139 कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति।धारा 140 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना।अध्याय 8 संपादित करेंसार्वजनिक शान्ति के विरुद्ध अपराधधारा 141 विधिविरुद्ध जनसमूह।धारा 142 विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना।धारा 143 गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंडधारा 144 घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना।धारा 145 किसी विधिविरुद्ध जनसमूह, जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।धारा 146 उपद्रव करनाधारा 147 बल्वा करने के लिए दण्डधारा 148 घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना।धारा 149 विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी।धारा 150 विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना।धारा 151 पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहनाधारा 152 लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना।धारा 153 उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करनाधारा 153 क धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।धारा 153 ख राष्ट्रीय अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यानधारा 154 उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर गैरकानूनी जनसमूह एकत्रित होधारा 155 व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्वधारा 156 उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता हैधारा 157 विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना।धारा 158 विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जानाधारा 159 दंगाधारा 160 उपद्रव करने के लिए दण्ड।अध्याय 9 संपादित करेंलोकसेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराधधारा 161 से 164 लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय मेंधारा 166 लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।धारा 166 क कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवकधारा 166 ख अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचारधारा 167 लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।धारा 168 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता हैधारा 169 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।धारा 170 लोक सेवक का प्रतिरूपण।धारा 171 कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।अध्याय 9 A संपादित करेंचुनाव सम्बन्धी अपराधधारा 171 A अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषितधारा 171 B रिश्वतधारा 171 C निर्वाचनों में असम्यक् असर डालनाधारा 171 D निर्वाचनों में प्रतिरूपणधारा 171 E रिश्वत के लिए दण्डधारा 171 F निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्डधारा 171 G निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथनधारा 171 H निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदायधारा 171 I निर्वाचन लेखा रखने में असफलताअध्याय १० संपादित करेंलोकसेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के विरुद्ध अवमाननाधारा १७२ समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जानाधारा १७३ समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना।धारा १७४ लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहनाधारा १७५ दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को १[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने का लोपधारा १७६ सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।धारा १७७ झूठी सूचना देना।धारा १७८ शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाएधारा १७९ प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना।धारा १८० कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकारधारा १८१ शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।धारा १८२ लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देनाधारा १८३ लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोधधारा १८४ लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।धारा १८५ लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।धारा १८६ लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।धारा १८७ लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध होधारा १८८ लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।धारा १८९ लोक सेवक को क्षति करने की धमकीधारा १९० लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी।अध्याय ११ संपादित करेंझूठा साक्ष्य तथा लोकन्याय के विरुद्ध अपराधधारा १९१ झूठा साक्ष्य देना।धारा १९२ झूठा साक्ष्य गढ़ना।धारा १९३ मिथ्या साक्ष्य के लिए दंडधारा १९४ मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना।धारा १९५ आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़नाधारा १९६ उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात हैधारा १९७ मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करनाधारा १९८ प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना।धारा १९९ विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन।धारा २०० ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना।धारा २०१ अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना।धारा २०२ सूचना देने के लिए आबद्ध व्यक्ति द्वारा अपराध की सूचना देने का साशय लोप।धारा २०३ किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देनाधारा २०४ साक्ष्य के रूप में किसी ३[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] का पेश किया जाना निवारित करने के लिए उसको नष्ट करनाधारा २०५ वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपणधारा २०६ संपत्ति को समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से निवारित करने के लिए उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपानाधारा २०७ संपत्ति पर उसके जब्त किए जाने या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से बचाने के लिए कपटपूर्वक दावा।धारा २०८ ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करनाधारा २०९ बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करनाधारा २१० ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं है कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करनाधारा २११ क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप।धारा २१२ अपराधी को संश्रय देना।धारा २१३ अपराधी को दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेनाधारा २१४ अपराधी के प्रतिच्छादन के प्रतिफलस्वरूप उपहार की प्रस्थापना या संपत्ति का प्रत्यावर्तनधारा २१५ चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेनाधारा २१६ ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है।धारा २१६क लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्तिधारा २१६ख धारा २१२, धारा २१६ और धारा २१६क में संश्रय की परिभाषाधारा २१७ लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञाधारा २१८ किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचनाधारा २१९ न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जानाधारा २२० प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगीधारा २२१ पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोपधारा २२२ दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोपधारा २२३ लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना।धारा २२४ किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।धारा २२५ किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधाधारा २२५ क उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करनाधारा २२५ ख अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ानाधारा २२६ निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी।धारा २२७ दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमणधारा २२८ न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्नधारा २२८क कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरणधारा २२९ जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण।अध्याय १२ संपादित करेंसिक्के तथा सरकारी स्टाम्प से सम्बन्धित अपराधधारा २३० सिक्का की परिभाषाधारा २३१ सिक्के का कूटकरणधारा २३२ भारतीय सिक्के का कूटकरणधारा २३३ सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचनाधारा २३४ भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचनाधारा २३५ सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखनाधारा २३६ भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरणधारा २३७ कूटकॄत सिक्के का आयात या निर्यातधारा २३८ भारतीय सिक्के की कूटकॄतियों का आयात या निर्यातधारा २३९ सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात थाधारा २४० उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात थाधारा २४१ किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकॄत होना नहीं जानता थाधारा २४२ कूटकॄत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकॄत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया थाधारा २४३ भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया थाधारा २४४ टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत हैधारा २४५ टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेनाधारा २४६ कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करनाधारा २४७ कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करनाधारा २४८ इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाएधारा २४९ इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाएधारा २५० ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया हैधारा २५१ भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया हैधारा २५२ ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आयाधारा २५३ ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आयाधारा २५४ सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता थाधारा २५५ सरकारी स्टाम्प का कूटकरणधारा २५६ सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखनाधारा २५७ सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचनाधारा २५८ कूटकॄत सरकारी स्टाम्प का विक्रयधारा २५९ सरकारी कूटकॄत स्टाम्प को कब्जे में रखनाधारा २६० किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकॄत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लानाधारा २६१ इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया हैधारा २६२ ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका हैधारा २६३ स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटानाधारा २६३क बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघअध्याय १३ संपादित करेंमाप और तौल से सम्बन्धित अपराधधारा २६४ तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोगधारा २६५ खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोगधारा २६६ खोटे बाट या माप को कब्जे में रखनाधारा २६७ खोटे बाट या माप का बनाना या बेचनाअध्याय १४ संपादित करेंलोक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा आदि से सम्बन्धित अपराधधारा २६८ लोक न्यूसेन्सधारा २६९ उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य होधारा २७० परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य होधारा २७१ करन्तीन के नियम की अवज्ञाधारा २७२ विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।धारा २७३ अपायकर खाद्य या पेय का विक्रयधारा २७४ औषधियों का अपमिश्रणधारा २७५ अपमिश्रित ओषधियों का विक्रयधारा २७६ ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रयधारा २७७ लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करनाधारा २७८ वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनानाधारा २७९ सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकनाधारा २८० जलयान का उतावलेपन से चलानाधारा २८१ भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शनधारा २८२ अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहणधारा २८३ लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।धारा २८४ विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८५ अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।धारा २८६ विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८७ मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८८ किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरणधारा २८९ जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।धारा २९० अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।धारा २९१ न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखनाधारा २९२ अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।धारा २९२ क ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से अश्लील सामग्री प्रिन्ट करनाधारा २९३ तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदिधारा २९४ अश्लील कार्य और गानेधारा २९४ क लाटरी कार्यालय रखनाअध्याय १५ संपादित करेंधर्म से सम्बन्धित अपराधधारा २९५ किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।धारा २९६ धार्मिक जमाव में विघ्न करनाधारा २९७ कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करनाधारा २९८ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि।अध्याय 16 संपादित करेंमानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधृधारा 299 आपराधिक मानव वधधारा 300 हत्याधारा 301 जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना।धारा 302 हत्या के लिए दण्डधारा 303 आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड।धारा 304 हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्डधारा 304 क उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करनाधारा 304 ख दहेज मॄत्युधारा 305 शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण।धारा 306 आत्महत्या का दुष्प्रेरणधारा 307 हत्या करने का प्रयत्नधारा 308 गैर इरादतन हत्या करने का प्रयासधारा 309 आत्महत्या करने का प्रयत्न।धारा 310 ठग।धारा 311 ठगी के लिए दण्ड।धारा 312 गर्भपात कारित करना।धारा 313 स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना।धारा 314 गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मॄत्यु।धारा 315 शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।धारा 316 ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।धारा 317 शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना।धारा 318 मॄत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपानाधारा 319 क्षति पहुँचाना।धारा 320 घोर आघात।धारा 321 स्वेच्छया उपहति कारित करनाधारा 322 स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 323 जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड, यह एक असंज्ञेय अपराध है तथा पुलिस द्वारा जमानतीय है ।धारा 324 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करनाधारा 325 स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्डधारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।धारा 326 क एसिड हमलेधारा 326 ख एसिड हमला करने का प्रयासधारा 327 संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।धारा 328 अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।धारा 329 सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 330 संस्वीकॄति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना।धारा 331 संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 332 लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचानाधारा 333 लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।धारा 334 प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करनाधारा 335 प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करनाधारा 336 दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।धारा 337 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करनाधारा 338 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करनाधारा 339 सदोष अवरोध।धारा 340 सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।धारा 341 सदोष अवरोध के लिए दण्डधारा 342 ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड।धारा 343 तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।धारा 344 दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।धारा 345 ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका हैधारा 346 गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।धारा 347 सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।धारा 348 संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोधधारा 349 बल।धारा 350 आपराधिक बलधारा 351 हमला।धारा 352 गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्डधारा 353 लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 354 स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 354 क यौन उत्पीड़नधारा 354 ख एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्यधारा 354 ग छिप कर देखनाधारा 354 घ पीछाधारा 355 गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 356 हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।धारा 357 किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।धारा 358 गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगधारा 359 व्यपहरणधारा 360 भारत में से व्यपहरण।धारा 361 विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरणधारा 362 अपहरण।धारा 363 व्यपहरण के लिए दण्डधारा 363 क भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरणधारा 364 हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।धारा 364क फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण।धारा 365 किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।धारा 366 विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।धारा 366 क अप्राप्तवय लड़की का उपापनधारा 366 ख विदेश से लड़की का आयात करनाधारा 367 व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।धारा 368 व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ैद करना।धारा 369 दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरणधारा 370 मानव तस्करी दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।धारा 371 दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।धारा 372 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।धारा 373 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।धारा 374 विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम।धारा 375 बलात्संगधारा 376 बलात्कार के लिए दण्डधारा 376 क पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्रधारा 376 ख लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोगधारा 376 ग जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोगधारा 376 घ अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोगधारा 376 (E) पुनरावृति अपराधियों के लिए सजा की व्यवस्थाधारा 377 प्रकॄति विरुद्ध अपराधअध्याय १७ अध्याय १९ संपादित करेंसेवा-संविदा का आपराधिक भंजनधारा ४९० समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंगधारा ४९१ असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंगधारा ४९२ दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है।अध्याय २० संपादित करेंविवाह से सम्बन्धित अपराधधारा ४९३ विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।धारा ४९४ पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करनाधारा ४९५ वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है।धारा ४९६ विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।धारा ४९७ व्यभिचारधारा ४९८ विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखनाअध्याय २० क संपादित करेंपति या पति के सम्बन्धियों द्वारा निर्दयताधारा 498 क किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करनाअध्याय 21 संपादित करेंमानहानिधारा 499 मानहानिधारा 500 मानहानि के लिए दण्ड।धारा 501 मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।धारा 502 मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।अध्याय 22 संपादित करेंआपराधिक अभित्रास, अपमान एवं रिष्टिकरणधारा 503 आपराधिक अभित्रास।धारा 504 शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करनाधारा 505 लोक रिष्टिकारक वक्तव्य।धारा 506 धमकानाधारा 507 अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास।धारा 508 व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्यधारा 509 शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित हैधारा 510 शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार।अध्याय २३ संपादित करेंअपराध करने के प्रयत्नधारा ५११ आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्डसंशोधन संपादित करेंइस संहिता में अनेकों बार संशोधन हुए हैं।[2][3]